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मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है निबंध, महत्व, पूजा विधि Makar Sankranti 2024 Date, Story, Puja Vidhi in Hindi


मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, 2024 में कब है, महत्व, कथा व पूजा विधि, निबंध (Makar Sankranti Date, Significance, Story, Puja Vidhi in Hindi)


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भारत देश में हर साल 2000 से अधिक त्यौहार मनाये जाते है। इन सभी त्योहारों के पीछे महज सिर्फ परंपरा या रूढि बातें नहीं होती है, हर एक त्यौहार के पीछे छुपी होती है ज्ञान, विज्ञान, कुदरत, स्वास्थ्य और आयुर्वेद से जुड़ी तमाम बातें। हर साल 14 या 15 जनवरी को हिन्दूओं द्वारा मनाये जाने वाला त्यौहार मकर संक्रांति को ही लें, तो यह पौष मास में सूर्य से मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। वैसे तो संक्राति साल में 12 बार हर राशि में आती है, लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश पर विशेष महत्व है। जिसके साथ बढती गति के चलते मकर में सूर्य के प्रवेश से दिन बड़ा तो रात छोटी हो जाती है। जबकि कर्क में सूर्य के प्रवेश से रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है।



मकर संक्रांति की कथा व कहानी (Makar Sankranti Story)


हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान् सूर्य अपने पुत्र भगवान् शनि के पास जाते है, उस समय भगवान् शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते है. पिता और पुत्र के बीच स्वस्थ सम्बन्धों को मनाने के लिए, मतभेदों के बावजूद, मकर संक्रांति को महत्व दिया गया. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते है, तो उनके संघर्ष हल हो जाते हैं और सकारात्मकता खुशी और समृधि के साथ साझा हो जाती है. इसके अलावा इस विशेष दिन की एक कथा और है, जो भीष्म पितामह के जीवन  से जुडी हुई है, जिन्हें यह वरदान मिला था, कि उन्हें अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी. जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे, तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने इस दिन अपनी आँखें बंद की और इस तरह उन्हें इस विशेष दिन पर मोक्ष की प्राप्ति हुई।



मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, महत्व (Makar Sankranti Significance)



मकर संक्रांति किसानों के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है, इसी दिन सभी किसान अपनी फसल काटते है। मकर संक्रांति भारत का सिर्फ एक ऐसा त्यौहार है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को ही मनाया जाता है. यह वह दिन होता है जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है. हिन्दूओं के लिए सूर्य एक रोशनी, ताकत और ज्ञान का प्रतीक होता है. मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है. एक नए तरीके से काम शुरू करने का प्रतीक है. मकर संक्रांति के दिन, सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर्यावरण अधिक चैतन्य रहता है, यानि पर्यावरण में दिव्य जागरूकता होती है, इसलिए जो लोग आध्यात्मिक अभ्यास कर रहे है, वे इस चैतन्य का लाभ उठा सकते है।



मकर संक्रांति पूजा विधि (Makar Sankranti Puja Vidhi)


जो लोग इस विशेष दिन को मानते है, वे अपने घरों में मकर संक्रांति की पूजा करते है. इस दिन के लिए पूजा विधि को नीचे दर्शाया गया है



सबसे पहले पूजा शुरू करने से पहले पूण्य काल मुहूर्त और महा पुण्य काल मुहूर्त निकाल ले, और अपने पूजा करने के स्थान को साफ़ और शुद्ध कर ले. वैसे यह पूजा भगवान् सूर्य के लिए की जाती है इसलिए यह पूजा उन्हें समर्पित करते है।


इसके बाद एक थाली में 4 काली और 4 सफेद तीली के लड्डू रखे जाते हैं. साथ ही कुछ पैसे भी थाली में रखते हैं।

इसके बाद थाली में अगली सामग्री चावल का आटा और हल्दी का मिश्रण, सुपारी, पान के पत्ते, शुद्ध जाल, फूल और अगरबत्ती रखी जाती है।

इसके बाद भगवान के प्रसाद के लिए एक प्लेट में काली तीली और सफेद तीली के लड्डू, कुछ पैसे और मिठाई रख कर भगवान को चढाया जाता है।

यह प्रसाद भगवान् सूर्य को चढ़ाने के बाद उनकी आरती की जाती है।

पूजा के दौरान महिलाएं अपने सिर को ढक कर रखती हैं।

इसके बाद सूर्य मंत्र ‘ॐ हरं ह्रीं ह्रौं सह सूर्याय नमः’ का कम से कम 21 या 108 बार उच्चारण किया जाता है।

कुछ भक्त इस दिन पूजा के दौरान 12 मुखी रुद्राक्ष भी पहनते हैं, या पहनना शुरू करते है. इस दिन रूबी जेमस्टोन भी फना जाता है।


मकर संक्रांति 2024 के दिन शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2023 Date and timing):-


मकर संक्रांति प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।


पुण्य काल के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 05:45 बजे के बीच है, जोकि कुल 3 घंटे और 02 मिनिट है।

इसके अलावा महा पूण्य काल के शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 04:28 बजे के बीच है जोकि कुल 1 घंटे 45 मिनिट के लिए है।



मकर संक्रांति पूजा से होने वाले लाभ (Makar Sankranti Puja Benefits):-



इससे चेतना और ब्रह्मांडीय बुद्धि कई स्तरों तक बढ़ जाती है, इसलिए यह पूजा करते हुए आप उच्च चेतना के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

अध्यात्मिक भावना शरीर को बढ़ाती है और उसे शुद्ध करती है.

इस अवधि के दौरान किये गए कामों में सफल परिणाम प्राप्त होते है।

समाज में धर्म और आध्यात्मिकता को फ़ैलाने का यह धार्मिक समय होता हैं।



मकर संक्रांति को मनाने का तरीका (Makar Sankranti celebration):-



मकरसंक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान, दान, व पूण्य का विशेष महत्व है। इस दिन लोग गुड़ व तिल लगाकर किसी पावन नदी में स्नान करते है. इसके बाद भगवान् सूर्य को जल अर्पित करने के बाद उनकी पूजा की जाती हैं और उनसे अपने अच्छे भविष्य के लिए प्रार्थना की जाती है. इसके पश्चात् गुड़, तिल, कम्बल, फल आदि का दान किया जाता है. इस दिन कई जगह पर पतंग भी उड़ाई जाती है। साथ ही इस दिन तीली से बने व्यंजन का सेवन किया जाता हैं । इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर भी भगवान सूर्यदेव को भोग लगाते हैं, और खिचड़ी का दान तो विशेष रूप से किया जाता है. जिस कारण यह पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इस दिन को अलग अलग शहरों में अपने अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है. इस दिन किसानों के द्वारा फसल भी काटी जाती हैं।



FAQ

Q : मकर संक्रांति सन 2024 में कब है ?

Ans : 15 जनवरी को


Q : मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है ?

Ans : दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक


Q : मकर संक्रांति को कैसे मनाते हैं?

Ans : मकर संक्रांति के दिन घरों में पूजा की जाती है।


Q : मकर संक्रांति में किसकी पूजा की जाती है ?

Ans : भगवान सूर्य


Q : मकर संक्रांति में किस चीज का भोग लगता है ?

Ans : तिल एवं गुड का.


Q : मकर संक्रांति का नाम क्या अलग अलग जगहों पर अलग अलग है ?

Ans : जी हां, विभिन्न राज्यों में अलग अलग नाम से इस त्यौहार को मनाया जाता है.


Q : मकर संक्रांति के दिन क्या करते हैं?

Ans : मकर संक्रांति के दिन पतंग उडाने का महत्व है।


Q : मकर संक्रांति को महाराष्ट्र में क्या कहते हैं?

Ans : मकर संक्रांति के महाराष्ट्र में मकर संक्रांति ही कहते हैं।


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