जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया कथा पूजा विधि एवम महत्व
जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत कथा, पूजा विधि एवम महत्व 2023 (Jivitputrika Vrat significance, Date, Kab Hai, Katha, Puja Vidhi In Hindi)
जितिया व्रत में महिलाएं एक दिन का निर्जला उपवास रखती हैं, इस व्रत के पुण्य प्रताप से संतान की प्राप्ति और लंबी आयु होती हैं। इस साल का जितिया का व्रत 6 अक्टूबर को पड़ रहा है।
जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Jitiya Vrat Date and Muhurat):
जितिया व्रत एक प्रमुख हिन्दू व्रत है जो पश्चिमी भारत में महिलाएं मनाती हैं। यह व्रत विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल में पॉप्युलर है। जितिया व्रत माता जी की कृपा प्राप्त करने और पति की लम्बी आयु के लिए होती है।
यह व्रत तीन दिन तक चलता है, इसका मुख्य उद्देश्य माता की पूजा करना और उनकी कृपा को प्राप्त करना होता है। इस दौरान, प्रायः सुबह और संध्या में माता की मूर्ति की पूजा करती हैं और उपवास रखती हैं।
इस वर्ष 2023 में यह व्रत 06 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा।
जितिया व्रत की शुरुवात- 6 अक्टूबर को सुबह 6:34
जितिया व्रत की खत्म- 7 अक्टूबर को सुबह 8:08
जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि (Jivitputrika Vrat Puja Vidhi):
जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि को सही तरीके से पालन करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
नहाई खाई:- यह दिन (Nahai-khai) जीवित्पुत्रिका व्रत का पहला दिन कहलाता है, इस दिन से व्रत शुरू होता हैं. इस दिन महिलायें नहाने के बाद एक बार भोजन लेती हैं। फिर दिन भर कुछ नहीं खाती।
खुर जितिया:- यह जीवित्पुत्रिका व्रत का दूसरा दिन (Khur Jitiya) होता हैं, इस दिन महिलायें निर्जला व्रत करती हैं. यह दिन विशेष होता हैं।
पारण:- यह जीवित्पुत्रिका व्रत का अंतिम दिन (Paaran) होता हैं, इस दिन कई लोग बहुत सी चीज़े खाते हैं, लेकिन खासतौर पर इस दिन झोर भात, नोनी का साग एवम मडुआ की रोटी अथवा मरुवा की रोटी दिन के पहले भोजन में ली जाती हैं।
इस प्रकार जीवित्पुत्रिका व्रत का यह तीन दिवसीय उपवास किया जाता हैं. यह नेपाल एवम बिहार में बड़े चाव से किया जाता हैं।
जीवित्पुत्रिका व्रत महत्व (Jivitputrika Vrat Mahatva):
यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला होता है। महिलाएं अपनी संतान की समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार संतान के लिए किया गया जीवित्पुत्रिका व्रत किसी भी बुरी परिस्थिति में उनकी रक्षा करता है।
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा (Jivitputrika jitiya Vrat story):
यह कथा महाभारत से जुड़ी हुई हैं। महा भारत युद्ध के बाद अपने पिता की मृत्यु के बाद अश्व्थामा बहुत ही नाराज थे और उसके अन्दर बदले की आग तीव्र थी, जिस कारण उसने पांडवो के शिविर में घुस कर सोते हुए पांच लोगो को पांडव समझकर मार डाला था, लेकिन वे सभी द्रोपदी की पांच संताने थी। उसके इस अपराध के कारण उसे अर्जुन ने बंदी बना लिया और उसकी दिव्य मणि छीन ली, जिसके फलस्वरूप अश्व्थामा ने उत्तरा की अजन्मी संतान को गर्भ में मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया, जिसे निष्फल करना नामुमकिन था। उत्तरा की संतान का जन्म लेना आवश्यक थी, जिस कारण भगवान श्री कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसको गर्भ में ही पुनः जीवित किया। गर्भ में मरकर जीवित होने के कारण उसका नाम ''जीवित्पुत्रिका'' पड़ा और आगे जाकर यही राजा परीक्षित बना। तब ही से इस व्रत को मनाया जाता हैं।
FAQ
Q : जीवित्पुत्रीका व्रत सन 2023 को कब है?
Ans : 6 अक्टूबर को
Q : जीवित्पुत्रीका व्रत की शुरुआत कितने बजे से है?
Ans : 6:34 बजे सुबह
Q : जीवित्पुत्रीका व्रत कब समाप्त होगा?
Ans : 7 अक्टूबर को 8:08 बजे सुबह तक
Q : जीवित्पुत्रिका का अन्य नाम क्या है?
Ans : जितिया व्रत
Q : जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा क्या है?
Ans : आर्टिकल में दी हुई है।
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