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गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी 2023-24 व्रत महत्व, कथा, कहानी, पूजा विधि (Ganesha Chaturthi Puja Vidhi, Katha in Hindi)



गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी 2023-24 व्रत महत्व, कथा, कहानी, पूजा विधि, कब, क्यों मनाया, किस दिन है, तारीख (Ganesha Chaturthi and Vinayak Chaturthi Vrat, Puja Vidhi, Story in Hindi, Kab hai,Why Celebraite, Date, Decoration, Innovation Card)


गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी (Ganesha Chaturthi Puja)


गणेश चतुर्थी को संकटा चतुर्थी भी कहा जाता हैं। विनायक चतुर्थी उपवास हर महीने किया जाता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विनायक चतुर्थी भाद्रपद के महीने में होता हैं। भाद्रपद के दौरान विनायक चतुर्थी, गणेश चतुर्थी के रूप में मनायी जाती है। गणेश चतुर्थी को हर साल पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार चातुर्मास में आता है। चातुर्मास त्यौहारों से भरा होता हैं। यह चार महीने पूजा अर्चना की दृष्टी से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन दिनों बहुत से धार्मिक उत्सव किये जाते हैं। पूरे श्रावण मास में शिव की पूजा की जाती हैं। 


गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कब और कहाँ मनाई जाती है (Ganesh Chaturthi Celebration)


यह त्योहार भारत के कई भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र व कर्नाटका में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। कथा पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की गयी हैं। पूरा देश गणेश उत्सव मानता है। 


गणेश चतुर्थी 2023 में कब मनाई जाएगी व शुभमुहूर्त कब है? (Ganesh chaturthi 2023 Date and timing)


भाद्रपद मास की शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी और 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। ऐसे कुल शुभमुहूर्त समय 2 घंटे 29 मिनट रहेगा। 


गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व (Ganesh Chaturthi Significance)


जीवन में सुख एवं शांति के लिए गणेश जी की पूजा की जाती हैं

संतान प्राप्ति के लिए भी महिलायें गणेश चतुर्थी का व्रत करती हैं

शादी जैसे कार्यों के लिए भी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं

किसी भी पूजा के पूर्व गणेश जी का पूजन एवं आरती की जाती हैं। तभी कोई भी पूजा सफल मानी जाती हैं।

बुद्धि और धैर्य दो गुण है, जिनके महत्व को मानव जाति में युगों से माना जाता है। जो कोई भी इन गुणों को प्राप्त करता है, वह जीवन में प्रगति कर सकता है साथ वह अपनी इच्छा भी प्राप्त कर सकता है।

विनायक चतुर्थी / गणेश चतुर्थी पर गणेश पूजा दोपहर के दौरान की जाती है जो हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से होता है। 


गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कथा (Ganesh Chaturthi Story)


गणेश जी को संकट हरता क्यूँ कहा गया


एक बार पुरे ब्रहमाण में संकट छा गया। तब सभी भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे इस समस्या का निवारण करने हेतु प्रार्थना की गयी। उस समय कार्तिकेय और गणेश वही मौजूद थे, माता पार्वती ने शिव जी से कहा हे भोलेनाथ ! आपको अपने इन दोनों बालकों में से इस कार्य हेतु भेजना चाहिए किसी एक का चुनाव करना चाहिए। तब शिव जी ने गणेश और कार्तिकेय को अपने समीप बुला कर कहा तुम दोनों में से जो सबसे पहले इस पुरे ब्रहमाण का चक्कर लगा कर आएगा, मैं उसी को श्रृष्टि के दुःख हरने का कार्य सौपूंगा। इतना सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मयूर अर्थात मौर पर सवार होकर चले बसे। लेकिन गणेश जी वही बैठे रहे थोड़ी देर बाद उठकर उन्होंने अपने माता पिता की एक परिक्रमा की और वापस अपने स्थान पर बैठ गये। कार्तिकेय जब अपनी परिक्रमा पूरी करके आये तब भगवान शिव ने गणेश जी से वही बैठे रहने का कारण पूछा तब उन्होंने उत्तर दिया मेरे माता पिता के चरणों में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण बसा हुआ हैं अतः उनकी परिक्रमा से ही यह कार्य सिध्द हो गया हैं जो मैं कर चूका हूँ। उनका यह उत्तर सुनकर शिव जी बहुत प्रसन्न हुए एवं उन्होंने गणेश जी को संकट हरने का कार्य सौपा।


गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी व्रत पूजा विधि (Ganesh Chaturthi vrat and puja vidhi in hindi)


‌कथा पुराण के अनुसार भद्रपद की गणेश चतुर्थी में सर्वप्रथम पचांग में मुहूर्त देख कर गणेश जी की स्थापना की जाती हैं।

‌सबसे पहले एक ईशान कोण में स्वच्छ जगह पर रंगोली डाली जाती हैं, जिसे चौक कहते हैं। 

‌उसके उपर पाटा अथवा चौकी रख कर उस पर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाते हैं.

‌उस कपड़े पर केले के पत्ते को रख कर उस पर मूर्ति की स्थापना की जाती हैं। साथ ही एक पान पर सवा रूपये रख पूजा की सुपारी रखी जाती हैं। 

‌कलश भी रखा जाता हैं एक लोटे पर नारियल को रख कर उस लौटे के मुख पर लाल धागा बांधा जाता हैं। यह कलश पुरे दस दिन तक ऐसे ही रखा जाता हैं। दसवे दिन इस पर रखे नारियल को फोड़ कर प्रशाद के रूप में ग्रहण किया  जाता हैं। 

‌सबसे पहले कलश की पूजा की जाती हैं जिसमे जल, कुमकुम, चावल चढ़ा कर पुष्प अर्पित किये जाते हैं। 

‌कलश के बाद गणेश देवता की पूजा अर्चना की जाती हैं। उन्हें भी जल चढ़ाकर वस्त्र पहनाए जाते हैं फिर कुमकुम एवम चावल चढ़ाकर पुष्प समर्पित किये जाते हैं। 

‌गणेश जी को मुख्य रूप से दूबा चढ़ायी जाती हैं। गणेश जी को मोदक प्रिय होते हैं। जिसके बाद भोग लगाया जाता हैं। साथ ही  सभी परिवार के साथ आरती की जाती हैं। इसके बाद प्रशाद वितरित किया जाता हैं। 


FAQ:

1 : गणेश चतुर्थी कब है ?

Ans : 19 सितम्बर। 

2 : गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है ?

Ans : भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को

3 : गणेश चतुर्थी 2023 में पूजा का मुहूर्त क्या है ?

Ans : सुबह 11:01 से दोपहर 13:28

4 : गणेश चतुर्थी का त्यौहार कैसे मनाते हैं ?

Ans : इस दिन मिट्टी से बने गणेशजी की स्थापना घर पर करके 10 दिनों तक उनकी पूजा की जाती है। 

5 : गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ क्यों है?

Ans: भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी आए। लेकिन गणेश जी से भगवान शिव से मिलने से इनकार कर दिया। इस पर परशुराम जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया।

 


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