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हिंदी दिवस कब और क्यों मनाया जाता हैं? Jitendra ambedkar

 

हिंदी दिवस कब और क्यों मनाया जाता हैं? 


Hindi Divas 2023: हिंदी दिवस? 



यह देश अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए दुनियाभर में अलग पहचान रखता है। यहां कई भाषाएं और बोलियां प्रचलित हैं। लोग यहां अपनी सुविधा और संस्कृति के हिसाब से भाषा का चुनाव करते हैं। भारत में यूं तो कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन हिंदी एक ऐसी भाषा है, जो देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश में करीब 43.63 फीसदी लोग हिंदी का इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर भारतीयों की मातृभाषा हिंदी भले ही देश की राष्ट्रभाषा न बन पाई हो, लेकिन हिंदी देश के आधे से ज्यादा भाग को जोड़ती है। हिंदी इसी उपयोगिता को दर्शाने के लिए हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।



हिंदी दिवस कब है? (Hindi diwas in 2023)



2023 में भी हिंदी दिवस प्रति वर्ष की भांति 14 सितम्बर को मनाया जाएगा. इस उपलक्ष्य में राष्ट्रपति भवन में आधिकारिक कार्यक्रम के आयोजन के अलावा देश के विभिन्न शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक संस्थाओं में भी इसे मनाया जाएगा. इस उपलक्ष्य में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के द्वारा कविता, निबंध, कहानी लेखन की प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती हैं, जिससे साहित्य के लिए नीव मजबूत हो सके। कविता पाठ और गीत गायन, नाटिकाओं का आयोजन भी इस दिवस को मनाने का एक तरीका हो सकता हैं। लेकिन इन सबसे ऊपर जिस बात की सबसे अधिक आवश्यकता है, वो आधिकारिक और औपचारिक कार्यक्रमों से लेकर आम जीवन तक हिंदी को सम्मान देने की है। 




हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता हैं? (Why it celebrated reason )


भारत के स्वाधीनता संग्राम क्रान्तिकारियों को जिस भाषा ने एक सूत्र में जोड़ रखा था,वो हिंदी ही हैं। एक समय जब क्षेत्रीय भाषाओं का साहित्य मे महत्वपूर्ण स्थान था, तब हिंदी के साहित्यकारों ने जो परिवर्तन की क्रान्ति का आगाज किया, उसे भारतीय इतिहास कभी भुला नहीं सकता हे और 19वी शताब्दी की शुरुआत तो हिंदी के साहित्यकारों के मुख्य-धारा में आने का सबसे महत्वूर्ण समय था। भारतेंदु हरिश्चंद्र, निराला, मुंशी प्रेमचन्द, हरिवंश राय बच्चन कुछ नाम-मात्र हैं जिन्होंने हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया। स्वतन्त्रता के बाद भी इस सूची में नाम बढ़ते ही रहे हँ। ऐसे में हिंदी को संविधान में जगह मिलना स्वाभाविक था इसलिए ही 1949 में जब संविधान सभा संविधान संबधित महत्वपूर्ण निर्णय ले रही थी, तब 14 सितम्बर 1949 के दिन ही हिंदी भाषा को राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया था। इसी कारण ही इस दिन को प्रति वर्ष “हिंदी दिवस” के रूप में मनाने की रीति प्रारम्भ हुई, और तब ये किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कालान्तर में ये दिवस हिंदी की पहचान और सम्मान के लिए ऑक्सिजन के जैसे काम करेगा। 


हालांकि अब भी ये दिन काफी उत्साह से मनाया जाता हैं लेकिन इसके साथ कई सवाल हैं, जिनके जवाब हर साल खोजे जाते हैं, हर साल संसद से लेकर मीडिया और गाँवों-शहरों में होने वाली आम लोगों की बहस में ये बहस विषय का रहता हैं कि “हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता हैं” जिनमे सबसे महत्वपूर्ण संशय हिंदी के राष्ट्र भाषा या राज भाषा होने के सन्दर्भ में होता हैं. वास्तव में हिंदी को भारत की राष्ट्र भाषा नहीं राज-भाषा घोषित किया था, जिसका अर्थ हैं की यहाँ की आधिकारिक भाषा हिंदी है. 13 जनवरी 2010 को गुजरात हाई कोर्ट ने भी एक आदेश में ये माना था कि हिन्दी भारत देश की राज भाषा हैं जबकि इसे राष्ट्र भाषा माना जाता हैं,जबकि रिकॉर्ड में ऐसा कोई प्रावधान मौजूद नहीं हैं जिसमें लिखा हो कि ये देश की राष्ट्र भाषा हैं। 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने के अलावा विश्व स्तर पर हिंदी साहित्य को पहचान दिलाने के लिए 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता हैं। विश्व स्तर पर हिंदी भाषा को ये सम्मान मिलना वास्तव में गौरव का विषय हैं. हिंदी दिवस के होते हुए भी विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य विश्व भर में हिंदी साहित्य के पक्ष में एक माहौल बनाना और भारत की तरफ से इस भाषा को प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करना हैं. यही कारण हैं कि विदेशों में भी इस दिन विशेष आयोजन किया जाता हैं. वास्तव में 10 जनवरी 1975 को नागपुर में विश्व-हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था. अत: कालान्तर में 10 जनवरी 2006 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी। 



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