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International Tiger Day 2023: आज है विश्व बाघ दिवस, जानें क्यों और कब हुई इस दिन को मनाने की शुरुआत

 

International Tiger Day 2023: आज है विश्व बाघ दिवस, जानें क्यों और कब हुई इस दिन को मनाने की शुरुआत



International Tiger Day 2023: विश्व बाघ दिवस?


29 जुलाई को हर साल विश्व के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों के संरक्षण और उनकी विलुप्त होती है। जो प्रजातियों को बचाने के उद्देश्य से मनाते हैं। इस मौके पर लोगों को बाघ के प्रजातियों के खत्म होते अस्तित्व के प्रति जागरूक करते हैं। दरअसल, वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 150 सालों में बाघों की संख्या में लगभग 95 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है। बाघ दिवस मनाने का फैसला करते हुए अनेक देशों ने बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था। कई देश इस लक्ष्य को पूरा करने के दिशा में प्रयास कर रहे हैं। हालांकि भारत ने साल 2018 में ही बाघों की प्रजातियों को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल कर लिया है। साल 2018 में भारत में बाघों की संख्या 2900 से ज्यादा थी। चलिए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई, बाघ दिवस का इतिहास क्या है और इस साल की बाघ दिवस की थीम क्या है।



अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास (History of International Tiger Day)?



विश्व बाघ दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई थी। रूस के पीटर्सबर्ग में एक International Conference का आयोजन किया गया, जिसमें 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया। इस अंतरराष्ट्रीय सुमित में 13 देशों ने हिस्सा लिया था। बाघों की विलुप्त होती प्रजातियों पर चिंता जताते हुए बाघों की संख्या 2023 तक दोगुनी करने का लक्ष्य बना लिया।



कैसे मनाया जाता है विश्व बाघ दिवस (How Is World Tiger Day Celebrated)?


बाघों के संरक्षण को लेकर आज के दिन सेमिनार का आयोजन होता है। इस के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को बाघों के बारे में जानकारी दी जाती है और उनके संरक्षण के लिए जागरूक किया जाता है। जो संगठन बाघों की रक्षा के लिए कार्य करते हैं, उनका प्रोत्साहन करने के साथ दान दिया जाता है। 



भारत में बाघों की स्थिति (Status of Tigers in India)?



भारत सरकार ने देश में बाघों की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पिछले तीन सालों में 329 बाघों की मौत शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से हुई है। वहीं साल 2019 में 96 बाघों की मौत हो चुकी है। हालांकि अब शिकार के मामलों की संख्या में कमी आई है।


2023 में की गई बाघों की आबादी की नवीनतम गणना के मुताबिक, भारत में बाघों की संख्या 3,167 है, जो 2018 में 2,967 से बढ़कर 6.7% की वृद्धि है।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के मैसूर में इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस (IBCA) का उद्घाटन किया।

IBCA को 7 प्रकार के बिग कैट्स (तेंदुआ, हिम-तेंदुआ, चीता, प्यूमा, जगुआर, शेर, और बाघ) के संरक्षण के लिए शुरू किया गया है, जिसमें 97 देश शामिल हैं।



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