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महेंद्र सिंह धोनी का जीवन परिचय। Mahendra Singh Dhoni Biography in Hindi?


महेंद्र सिंह धोनी का जन्म रांची, झारखण्ड ( बिहार) में 7 जुलाई 1981 को हुआ था. महेंद्र सिंह धोनी के पिता का नाम पान सिंह धोनी एवं इनकी माता का नाम देवकी धोनी है.  Ms dhoni का एक बड़ा भाई और एक बहन भी है. धोनी के भाई का नाम नरेन्द्र सिंह धोनी तथा बहन का नाम जयंती है. धोनी एक मध्यमवर्गी परिवार से थे. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा रांची के जवाहर विद्या मंदिर स्कूल से पूर्ण की. धोनी के पिता एक स्टील बनाने वाली कंपनी में काम करते थे.


धोनी को बचपन से ही क्रिकेट के बजाए फुटबॉल पसंद था पर, इनके कोच ठाकुर दिग्विजय सिंह ने इन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया. धोनी को फुटबॉल टीम में एक गोलकीपर के तौर पर खेलते थे. यही देखकर कोच ने उन्हें क्रिकेट में एक विकेट कीपर के तौर पर खेलने को कहा. महेंद्र सिंह धोनी ने अपने माता पिता की सहमती लेकर क्रिकेट खेलना शुरू किया. 2001-2003 में धोनी पहली बार कमांडो क्रिकेट क्लब की ओर से खेले वहां पर उनकी wicket Keeping को देखकर सभी ने उनकी सराहना की.

अपने जुनून के साथ आगे बढ़ो। (Go Ahead with Your Passion)

हम धोनी से ये बात सीख सकते हैं। जब धोनी की बोर्ड की परीक्षा थी, तब भी धोनी परीक्षा के बाद क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिये मैदान पर पहुँच जाते थे। जब रेलवे में धोनी की टिकट कलेक्टर (TC) की नौकरी लगी, तब भी उन्होंने अपनी practice करनी नहीं छोड़ी। नौकरी के बाद वो मैदान पर practice करने के लिये पहुँच जाते थे। ये धोनी का जुनून ही था जो उन्हें किसी भी परिस्थिति में, चाहे वो exam हो या 8 घण्टे की job, क्रिकेट की प्रैक्टिस करने से नहीं रोक पाया और अपने इसी जुनून की वजह से उन्होंने क्रिकेट की बुलन्दियों को छुआ।



MS Dhoni Biography in Hindi : महेंद्र सिंह धोन


अभी कुछ दिनों पहले ही 15 अगस्त के दिन धोनी ने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहकर अपने और क्रिकेट को चाहने वाले लोगों को झटका दे दिया। उनके फैंस अभी भी उन्हें क्रिकेट खेलते देखना चाहते हैं।

महेंद्र सिंह धोनी को लोग माही, MS, MSD, Captain Cool आदि नामों से भी जानते हैं। धोनी ने अपने प्रोफेशनल कैरियर की शुरूआत 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ की। तब से अब तक धोनी के नाम बहुत से रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं। उनको पदम श्री, पदमभूषण और राजीव गाँधी खेल रत्न पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

धोनी दुनिया के एकमात्र कप्तान हैं जिनकी कप्तानी में भारत ने  ICC के तीनों कप ICC Twenty-20 World Cup (2007), ICC World Cup (2011) और  ICC Champions Trophy (2013) जीते हैं। भारतीय सेना ने धोनी को लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि से नवाजा है। आज धोनी कम्पनियों के पसंदीदा ब्रांड हैं। उनके पास लगभग 750 करोड़ रुपये की संपत्ति है।

लेकिन ये नाम, ये शोहरत, ये दौलत धोनी को ऐसे ही नहीं मिली है। इसके पीछे उनकी जी तोड़ मेहनत, उनका संघर्ष है। ये मुकाम उन्होंने कड़ी मेहनत, समर्पण, जिद और अच्छे प्रदर्शन से हांसिल किया है। उन्होंने पूरी दुनिया में ये साबित किया है कि अगर खुद पर भरोसा है तो मेहनत और लगन से एक छोटे से शहर और एक गरीब परिवार का लड़का भी सफल हो सकता है, बुलंदी को छू सकता है। बड़े सपने देख सकता है और बड़े सपने पूरे कर भी सकता।


 अपने जुनून के साथ आगे बढ़ो। (Go Ahead with Your Passion)


अगर आप अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं तो उसके लिये अपने अन्दर जुनून पैदा करो। और फिर उस जुनून के साथ आगे बढ़ो। चाहे कुछ भी हो जाये, चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ हो, अपने जुनून को कभी कम मत होने दो, अपने जुनून को कभी मरने मत दो।

हम धोनी से ये बात सीख सकते हैं। जब धोनी की बोर्ड की परीक्षा थी, तब भी धोनी परीक्षा के बाद क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिये मैदान पर पहुँच जाते थे। जब रेलवे में धोनी की टिकट कलेक्टर (TC) की नौकरी लगी, तब भी उन्होंने अपनी practice करनी नहीं छोड़ी। नौकरी के बाद वो मैदान पर practice करने के लिये पहुँच जाते थे। ये धोनी का जुनून ही था जो उन्हें किसी भी परिस्थिति में, चाहे वो exam हो या 9 से 6 की job, क्रिकेट की प्रैक्टिस करने से नहीं रोक पाया और अपने इसी जुनून की वजह से उन्होंने क्रिकेट की बुलन्दियों को छुआ।

बड़े सपने देखों और उन्हें पूरा करो। (Dream big and make them come true)

सपने सभी देखते हैं और बड़े-बड़े सपने देखते हैं। लेकिन हर कोई उन सपनों को पूरा नहीं कर पाता। अपने सपनों को कैसे पूरा करें? (How to fulfil our dreams) धोनी से आप ये बात सीख सकते हैं।

धोनी एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे। उनके पिता एक पम्प ऑपरेटर थे। जो ये चाहते थे कि उनके बच्चे भी दूसरों की तरह मेहनत से पढ़ें और अच्छे नम्बरों से पास होकर एक अच्छी नौकरी करें। उनके पिता के मुताबिक, खेलकूद कभी भी किसी को सफल नहीं बना सकता, सिर्फ पढ़ लिखकर ही सफल बना जा सकता है।

लेकिन धोनी इस विचारधारा को नहीं मानते थें। उन्होंने क्रिकेट में कुछ बड़ा करने का सपना देखा। उसके लिये दिन रात मेहनत की। और उस सपने को पूरा किया। धोनी न केवल Indian cricket team में चुने गये बल्कि भारत के सबसे सफल कप्तान बने। उनकी कप्तानी में भारत ने  ICC (International Cricket Council)  द्वारा प्रायोजित तीनों तरह के World Cup जीतें। आज धोनी सफलता के उस मुकाम पर हैं, जहाँ पर पहुँचना सभी के लिये आसान नहीं है। लेकिन मुश्किल भी नहीं है। आप चाहें किसी भी क्षेत्र में हो, सबसे पहले एक सपना देखिये, फिर उसके लिये मेहनत कीजिए और फिर अपने सपने को पूरा कीजिए।


कुछ नया सीखने की ललक। (Urge to learn something new)


कुछ नया सीखना सफल लोगों की आदत होती है। आप भरोसा करें या ना करें, अगर आपको  सफलता के बारे में अपना mindset बदलना है तो आपको कुछ नया सीखने की आदत डालनी ही होगी।

क्रिकेट में धोनी का एक trademark shot है, जिसे Helicopter Shot के नाम से जाना जाता है। लेकिन ये shot उनका खुद का नहीं है। एक मैच के दौरान उन्होंने अपने दोस्त को ये shot खेलते देखा। वह बल्ले के घुमाव (swing of bat) को देखकर बहुत हैरान हुये। उन्होंने तुरन्त अपने दोस्त को ये shot सिखाने के लिये बोला। यह उनके सीखने की ललक को दर्शाता है। सफल लोग सीखने के लिये हमेशा भूखे रहते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो कहाँ और किससे सीख रहे हैं।

आप भी कुछ नया सीखने की आदत बना सकते हैं। उसके लिये आप किताबें पढ़ सकते हैं, internet पर पढ़ सकते हैं, प्रेरणादायक वीडियो देख सकते हैं।


अपने दिल की आवाज को सुनो। (Listen to your heart)


बहुत कम लोग होते हैं जो अपने दिल की आवाज को सुनते हैं और उसके अनुसार निर्णय लेते हैं। महेन्द्र सिंह धोनी हमेशा अपने दिल की बात सुनते हैं और यही कारण है कि वे आज इतने सफल हैं। बचपन में जब उनके पिता उनसे खेलकूद छोड़कर, पढ़ाई पर ध्यान देने के लिये कहते थे, तब भी उनका ध्यान क्रिकेट पर रहता था। जब रेलवे में TC की post पर उनकी नौकरी लगी तो उनके पिता और परिवार वाले बहुत खुश थे। उन सब की खुशी के लिये उन्होंने job join कर ली।

लेकिन कुछ समय बाद उनको लगने लगा कि नौकरी की वजह से उनके खेल पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। उस समय उनके सामने दो रास्ते थे। पहला ये कि आराम से परिवार और समाज की खुशी के लिये TC की नौकरी करते रहें या फिर अपने दिल की बात सुने और नौकरी छोड़कर अपने खेल पर focus करें। उन्होंने अपने दिल की बात सुनी और नौकरी छोड़ दी।

जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब एक तरफ घर परिवार, समाज की बातें होती हैं और दूसरी तरफ अपने दिल की बात। अगर आप जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहते हैं और आपके अन्दर जुनून है और खुद पर भरोसा है तो हमेशा अपने दिल की आवाज सुनें और खुद को साबित करें।


रिस्क लेना। (Take risk)


जिंदगी में हमेशा वो ही नहीं होता जो आप चाहते हो। जिंदगी में कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं जब आपको रिस्क लेने पड़ते हैं। बिना रिस्क लिये आप जिंदगी में सफल हो ही नहीं सकते। कभी-कभी बहुत सी सफलतायें जिंदगी में रिस्क लेने के बाद ही मिलती हैं।

धोनी ने कई बार मैदान पर ऐसे फैंसले लिये हैं जिनमें बहुत रिस्क था और वो जानते भी थे कि अगर वो गलत साबित हुये तो उनको आलोचना का शिकार भी बनना पड़ेगा।

2007 के T-20 world cup final match के last over में पाकिस्तान को जीतने के लिये 12 रन चाहिये थे। और मिस्बाह उल हक उससे पहले ओवर में 3 छक्के लगाकर आत्मविश्वास के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे। सबको लग रहा था कि पाकिस्तान आराम से मैच जीत जायेगा। अंतिम ओवर में धोनी ने अनुभवी गेंदवाजों की जगह पर नये खिलाड़ी जोगिन्दर शर्मा को गेंदबाजी करने के लिये बुलाया। उनके इस फैंसले से बहुत से लोगों को निराशा और हैरानी हुयी, क्योंकि ये एक बहुत बड़ा रिस्क था और भारत world cup हार सकता था। लेकिन धोनी को खुद पर भरोसा था और उन्होंने रिस्क लिया। ओवर की दूसरी गेंद पर ही मिस्बाह ने छक्का मार दिया तो सबको लग गया कि भारत अब मैच हार गया। धोनी ने जोगिन्दर से बात की और अगली ही गेंद पर जोगिन्दर ने मिस्बाह को catch out करा दिया। भारत ने मैच के साथ पहली बार T-20 world cup भी जीत लिया था। उसके बाद सबको धोनी का फैसला सही लगा। ये उनके रिस्क लेने के कारण ही हुआ कि भारत T-20 world cup जीत गया।


खुद पर भरोसा करना। (Believe on yourself)


खुद पर भरोसा करना धोनी की सबसे बड़ी ताकत है। इसकी वजह से ही वे आज सफलता की बुलन्दियों पर हैं। अगर आप खुद पर भरोसा करते हैं तो आप जिंदगी में कुछ भी हांसिल कर सकते हैं। आप धोनी से ये बात सीख सकते हैं। World cup final match से पहले धोनी ने सात मैचों में 31, 34, 19, 12, 22, 7 और 25 रन बनाये थे। फाईनल से पहले वह कोई बड़ा स्कोर नहीं बना पाये थे। वह बिल्कुल out of form थे। फिर भी वह फाईनल मैच में युवराज से पहले खेलने आये, जबकि युवराज सिंह बहुत अच्छी form में थे। लेकिन उन्हें पता था कि वह मुथैया मुरलीधरन को ज्यादा बेहतर तरीके से खेल सकते हैं। उन्हें खुद पर भरोसा था कि वह मैच जिता देंगे और 10 ball शेष रहते हुये उन्होंने छक्का मार कर मैच के साथ-साथ World Cup भी जीत लिया। ये होती है खुद पर भरोसा करने की ताकत।


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