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डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर। Ambedkar Jayanti 2023 BR Ambedkar Jayanti Dr BR Ambedkar Jayanti dr bhimrao ambedkar jayanti dr ambedkar jayanti?





बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की 127 वी जयंती पर भाजपा मंडल द्वारा जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ किया गया। सांसद विक्रम उसेंडी ने कहा भारत के लिए गौरव की बात है कि डॉ.आंबेडकर सबसे बड़े विद्यावान माने जाते हैं। उनके पास 16 डिग्रियां थी, जो विश्व में किसी के पास नहीं है।


14 अप्रैल को भारत र| आंबेडकर की जयंती को ज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं। उनकी बदौलत ही हमें कानून की जानकारी, संविधान मिला है। ऐसे महान व्यक्ति को कभी नहीं भूला जा सकता। कार्यक्रम में भोजराज नाग, भरत मटियारा, सुमित्रा मारकोल, विजय मंडावी, बृजेश चौहान, नरेंद्र बेसरे, नरोत्तम सिंह चौहान, भीखम आरदे, मीलूदास महंत, बसंती गांधी, मंदा सावले, वीना चुरेंद्र सहित पदाधिकारी कार्यकर्ता शामिल थे।


समाजजनों ने निकाली रैली

बौद्ध समाज द्वारा जयंती अवसर पर उनके किए गए कार्यों को याद किया गया। परियोजना कार्यालय के पास स्थित बाबा साहेब की मूर्ति स्थल से नगर में रैली निकाली। नगर भ्रमण के बाद समाजजन अंतागढ़ पहुंची। यहां सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जनपद उपाध्यक्ष कृष्णा टेकाम, चेतन मरकाम, टुपेश कोसमा, संजय बेलसरिया, बृजेश उके, डीके मेश्राम, डी खोब्रागढ़े आदि उपस्थित थे।





भारत रत्न डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का एक ही नारा भारत एक हो, विश्व की सबसे बड़ी जयंती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, आनंद जोनवार। विश्व की महान विभूतियों में शामिल युग प्रवर्तक डॉक्टर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने  विश्व के बदलते वातावरण में एक नई आर्थिक नीति के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक क्रांति को विश्व पटल पर रखा। डॉ अंबेडकर का आर्थिक चिंतन आकलन की दृष्टि से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक आधारमान हैं। उन्होंने अपने चिंतन में मानवतावादी आस्थाओं को सहजता के साथ समेटे हुए है। अंबेडकर ने अपने चिंतन में भारतीय समाज में विराजमान  विसंगतियों पर प्रकाश डाला, जो  उनकी स्वयं की देखी, भोगी, जांची, परखी और अनुभव की हुई थी । यही मुख्य वजह  है कि उनके चिंतन में राष्ट्र को एक जीवन चेतना चुनौती और संघर्ष के दर्शन आसानी से हो जाते हैं। 1946 में उन्होंने "भारत एक हो" का नारा दिया।

विश्व में सबसे ज्यादा डिग्री किसके

आंबेडकर सबसे बड़े विद्यावान माने जाते हैं। उनके पास 16 डिग्रियां थी, जो विश्व में किसी के पास नहीं है। 14 अप्रैल को भारत र| आंबेडकर की जयंती को ज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं।

बौद्ध महासभा की स्थापना कर भारतीयों के बने मार्गदर्शक

स्वतंत्रता मिलने के बाद 1947 में डॉ अंबेडकर को संविधान  प्रारूप तैयार करने वाली समिति का अध्यक्ष बनाया गया। आज पूरे मानव समाज को उनके विचारों पर सतत विश्लेषण और क्रियान्वयन करने की जरूरत है। संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर ने भारत की साम्यवादी गतिशीलता को सामाजिक रूढ़ियों में बदलाव की शक्ति का रूप दिया और क्रांति की एक नई लहर निर्मित की। भारत के जिस संविधान का प्रारूप उन्होंने बनाया वह पूरे विश्व में अन्य देशों से बड़ा होने के साथ साथ सर्वश्रेष्ठ भी है। वो देश के पहले विधिमंत्री बने। डॉ अंबेडकर ने 1950 में काठमांडू में विश्वविद्यालय बौद्ध सम्मेलन में बौद्ध धर्म तथा मार्क्सवाद पर व्याख्यान दिया। 1951 में उन्होंने भारतीय बौध्द जनसंघ की स्थापना की। उनकी पुस्तक "बुध्द उपासना पथ" बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए मार्गदर्शक बनी। 1954 में उन्होंने रंगून में आयोजित विश्व बौद्ध सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। डॉक्टर ने 1955 में भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना की। 1956 में अंबेडकर को काठमांडू में आयोजित विश्व बौद्ध सम्मेलन में उन्हें नव बौध्द उपाधि से सम्मानित किया। 14 अक्टूबर 1956 को अपने पांच लाख दलित अनुयायियों के साथ नागपुर में बौद्ध धर्म स्वीकार कर दीक्षा ली। जो दुनिया के इतिहास में एक दिन एक साथ एक स्थान पर होने वाला सबसे बड़ा धर्म परिवर्तन है।

विश्व की सबसे बड़ी जयंती अंबेडकर जयंती

अर्थशास्त्र, राजनीतिक, विज्ञान, समाजशास्त्र धर्म दर्शन में अनेक पुस्तकों के लेखक और पत्रिकाओं के संपादनकर्ता होने के कारण अंबेडकर का भारतीय समाज, शासन, अर्थव्यवस्था और विशेष पिछड़े वर्ग पर व्यापक प्रभाव पड़ा। जिसके कारण अंबेडकर पिछड़े और वंचित वर्ग  के मसीहा बने । हर साल 14 अप्रैल को उनकी जयंती बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाई जाती हैं। गूगल सर्च इंजन के मुताबिक सैकड़ों देशों और करोड़ों अंबेडकरवादी अनुयायियों के द्वारा मनाई जाने वाली अंबेडकर जयंती विश्व की सबसे बड़ी जयंती मानी जाती हैं।

पीडितों को संरक्षण और आवाज देने वाली संस्था अंबेडकर एक विधि वेत्ता, समाजशास्त्री गरीब वंचितों के मसीहा, राष्ट्रीय नायक प्रेणता, सामाजिक और आर्थिक समानता के प्रबल समर्थक,संवैधानिक लोकत्रांत्रिक भारत के राष्ट्रपिता डॉक्टर अंबेडकर अविस्मरणीय है, जो सदैव हर मानवतावादी समतावादी न्यायवादी के दिलों में विराजमान है। अंबेडकर की बोली गई वाणी, लिखी गई छाप में आज भी ऊर्जा है,जो सामाजिक ताजगी और समाज को अग्रसर करने की शक्ति प्रदत्त करती है। उनकी विचारणीय गतिशील विश्लेषणीय वाणी करोड़ों पीडितों को संरक्षण और आवाज देने वाली संस्था है। अंबेडकर स्वयं समग्र क्रांति के अग्रदूत है।  उनका कहना था कि सरकार के इरादों से लड़ना आसान है किंतु समाज की मुरादों से जीतना बहुत कठिन। राजनीति की लड़ाई कुर्सी का लक्ष्य लेकर चलती है। उसके हासिल करने के रास्ते किसी भी मानदंड तक पहुंच सकते हैं। लक्ष्य प्राप्ति लड़ाई का समापन होती है किंतु समाज की रूढ़ियों के विरुद्ध लड़ाई अदृश्य अविराम होती है सामाजिक उत्पीड़न की लड़ाई मूल्यों के साथ लड़ी जाती है, उसके अपने आश्वासन हैं।

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