सोमवार, 8 जनवरी 2024

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जीवन परिचय [Major Sandeep Unnikrishnan Biography in Hindi- Age, Death Reason, Last Words]

 


मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जीवन परिचय (जन्म तारिक, जन्म स्थान, माता, पिता, करियर, मृत्यु तारीख, मृत्यु स्थान, पत्नी, शिक्षा, आर्मी करियर, ब्रांच, लड़ाई, सेना, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन पराक्रम, ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो, पुरस्कार, आखरी विदाई, आखरी शबद, फिल्म [Major Sandeep Unnikrishnan Biography in Hindi- Age, Death Reason, Last Words, date of birth, birth place, career, education, father, mother, children, wife, army career, branch, team, death date, date place, awards, operations]


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Mejor sandeep Unnikrishnan Biography in Hindi:-


दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम जानेंगे संदीप उन्नीकृष्णन का जीवन से भरी कहानी के विषय में आज विस्तार पूर्वक समझेंगे। दोस्तो हमारे देश के वीर जवानों की जब बात आती है तो हर किसी के दिल में एक अलग ही जज्बा दिखाई देने लगता है। हर कोई दिल से उनकी देशभक्ती के बारे में बताता है। लेकिन जब ये शहीद होते हैं तो उतना ही दर्द दिल और आंखों से झलकता हुआ दिखाई देता है। एक ऐसा ही दर्द देशभर के लोगों के सामने आया था। 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान जब ना जाने लोगों की जान बचाते-बचाते कितने वीर जवान शहीद हो गए थे। उनमें से एक थे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ये उस समय एनएसजी कमांडो की एक टीम को लीड कर रहे थे। जिनको ताज में बंधक बने लोगों को छुड़ाने का काम सौंपा गया था। जिसको उन्होंने बहुत बखूबी से निभाया। लेकिन अपनी जान नहीं बचा पाए और शहीद हो गए। उनकी इसी शहादत और उनके जीवन के कुछ पलों को आज हम आपको बताएंगे।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जीवन परिचय (Major Sandeep Unnikrishnan Biography):-



नाम- मेजर संदीप उन्नीकृष्णन

जन्म- 15 मार्च 1977

जन्म स्थान- कोझीकोड, केरल

मृत्यृ की तारीख - 28 नवंबर 2008

मृत्यृ की जगह- ताज होटल, मुंबई

पिता का नाम- श्री के. उन्नीकृष्णन

माता का नाम- श्रीमति धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन

पत्नी का नाम- नेहा उन्नीकृष्णन

शिक्षा- कॉलेज नेशनल डिफेंस एकेडमी, इंडियन मिलिट्री एकेडमी

पेशा- आर्मी ऑफिसर

पदवी- मेजर, कमांडो

ब्रांच- भारतीय आर्मी

ईकाई एनएसजी के लिए 51 विशेष कार्य समूह

लड़ाई ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन पराक्रम,ऑपरेशन रक्षक, काउंटर-इनसर्जेंसी,ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो

वैवाहिक स्थिति विवाहित



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का प्रारंभिक जीवन(Major Sandeep Unnikrishnan Of Early life):-



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जिनका जन्म 15 मार्च 1977 को एक मलयाली नायर परिवार हुआ था। जो कई साल पहले केरल के कोझीकोड चले गए थे। जहां उन्होंने शुरूआती जीवन बिताया।

उनका पूरा परिवार पड़ा-लिखा है। मेजर संदीप के पिता के. उन्नीकृष्णन इसरो में एक अधिकारी थे। उनकी माता धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन एक हाउस वाइफ थी। वो अपने माता-पिता के एकलौते बच्चे हैं।

जब मेजर संदीप ने स्कूल में एडमिशन लिया। तबसे ही उन्होंने अपना मन बना लिया था कि वो सेना में जाएंगे और देश की सेवा करेंगे।

उन्हें सेना में जाने का इतना शौक था कि, वो स्कूल की पढ़ाई करते हुए आर्मी स्टाइल क्रयू कट हेयर स्टाइल करवाते थे।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की शिक्षा (Major Sandeep Unnikrishnan Of Education):-

 


संदीप उन्नीकृष्णन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बैंगलोर के फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की। संदीप अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेल कूद में भी काफी आगे रहते थे। उन्होंने काफी प्रतियोगिता में भाग भी लिया था।

साल 1995 को उन्होंने आईएससी सांइस स्ट्रीम में डिग्री हासिल की। उनका हमेशा से एक ही सपना था भारतीय सेना में शामिल होना।

संदीप एक एथलीट खिलाड़ी भी रह चुके थे। स्कूल के समय में वो अपनी पढ़ाई के साथ कई खेलों में भाग लेते थे। जिसमें वो अपना अच्छा प्रदर्शन करके जीत हासिल किया करते थे। इसी के साथ उनके नाम कई रिकॉर्ड भी हैं।

संदीप खिलाड़ी अच्छे थे। लेकिन इसके साथ-साथ उन्हें म्यूजिक का भी काफी शौक था। उन्होंने एक म्य़ूजिक ग्रुप भी ज्वाइन किया हुआ था।

अपनी प्रारंभिक शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने सेना ज्वाइन करने के लिए आगे की पढ़ाई करनी शुरू की। उन्होंने एनडीए का एग्जाम पास किया और एडमिशन ले लिया।

एनडीए में एडमिशन लेने के बाद वो उस समय सिर्फ एक कैडेट थे। लेकिन ओस्कर स्क्वाड्रन नंबर 4 बटालियन में चुने गए। जिसके बाद उन्हें एनडीए के 94 वें कोर्स से डिग्री हासिल की।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का वैवाहिक जीवन

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन विवाहित थे। उनकी शादी नेहा उन्नीकृष्णन से हुई। उनका वैवाहिक जीवन काफी अच्छा और सफल रहा है।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का सेना करियर

12 जुलाई साल 1999 को संदीप को बिहार रेजिमेंट की 7वीं बटालियन में लेफ्टिनेंट की पोस्ट के लिए नियुक्त किया गया। उसके बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर फिर राजस्थान में तैनात कर दिया गया।

संदीप उन्नीकृष्णन को 12 जून 2003 को कप्तान के पद और 12 जून 2005 को मेजर के पद दिया गया। 2006 में वो राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में शामिल हुए। जिसका प्रशिक्षण करने के बाद वो उसका हिस्सा बन गए।

उन्होंने घातक कोर्स कमांडो विंग इन्फैंट्री स्कूल, जो की बेलगाम में था। वहां से टॉप किया। जिसे अबतक का सेना का सबसे मुश्किल कोर्स माना जाता है।


मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का ऑपरेशन विजय


मेजर संदीप ने जुलाई 1999 में ऑपरेशन विजय के लिए हिस्सा लिया। ये उस समय की बात है जब पाकिस्तानी सेना ने भारतीय क्षेत्र में करगिल युद्ध के दौरान प्रवेश किया था।

इसमें मेजर को पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारी गोलीबारी का सामना करना पड़ा था। 

31 दिसंबर 1999 की शाम को संदीप उन्नीकृष्णन ने आगे बढ़कर छह सैनिकों की एक टुकड़ी तैयार की। उन्होंने पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी का सामना करते हुए 200 मीटर दूरी पर एक चौकी स्थापित कर कामयाबी हालिक की।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का ऑपरेशन पराक्रम



1999 के कारगिल युद्ध के बाद वो ऑपरेशन पराक्रम में शामिल हुए। ये भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा सैन्य युद्ध था।

 1 अक्टूबर 2001 को भारत की संसद और जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर 13 दिसबंर को आतंकवादी हमले का मुहतोड़ जवाब दिया।

भारत ने दावा किया कि, इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद इन हमलों के पीछे थे।

इन ऑपरेशन के अलावा संदीप उन्नीकृष्णन ने ऑपरेशन रक्षक और काउंटर-इंसरजेंसी सहित कई युद्धों में हिस्सा लिया।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो



26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल में आतंकवादियों द्वारा हमला किया गया।

इस हमले में जो मुख्य आतंकवादी था वो लश्कर-ए-तैयबा इस्लामी आतंकवादी संगठन आमिर कसाब का सदस्य था। जिसको 21 नवंबर 2012 को पुणे में फांसी दे दी गई थी।

मेंजर 51 एसएजी टीम के कमांडर थे। जिन्हें ताज होटल में लोगों को छुड़ाने के लिए तैनात किया गया था। 

 मेजर 10 कमांडो के साथ सीढ़ियों से इमारत की छठी मंजिल पर पहुंचे। जहां उन्होंने लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की।

टीम ने जैसे ही दरवाजा तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश की आतंकवादियों ने गोलियों से हमला करना शुरू कर दिया। इस फायरिंग में कमांडो सुनील यादव जो मेजर के सहयोगी थे वो घायल हो गए। 

आतंकवादी के साथ मेजर ने उन आतंकवादियों का पीछा किया। जो होटल की दूसरी मंजिल से भाग खड़े हुए थे।

उसी मुठभेड़ के दौरान मेजर संदीप को आतंकवादियों ने पीछे से गोली मार दी। जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हुए। उनकी ये घातक चोट सही नहीं हो पाई और उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के अंतिम शब्द



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जब कमांडो सुनील के साथ घेराबंदी कर रहे थे। तब उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा- ऊपर मत आओ, मैं उन्हें संभाल लूंगा। यही उनके आखिरी शब्द थे। जिसे उनके सहयोगी आज भी याद करते हैं।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पुरस्कार(Major Sandeep Unnikrishnan's awards):-


अशोक चक्र

ऑपरेशन पराक्रम पदक

विशेष सेवा पदक

सैन्य सेवा पदक

उच्च ऊंचाई सेवा पदक

9 साल लंबी सेवा पदक



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को अंतिम विदाई



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को अंतिम विदाई बैंगलोर में स्थित उनके घर से दी गई। वहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया। 

 इसमें काफी संख्या में लोगों की भीड़ एकत्रित हुई। हर कोई संदीप अमर रहे के नारे लगा रहा था।

 उनका अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ संपन्न किया गया। इस बलिदान करे लिए उन्हें मरणोपरांत 26 जनवरी 2009 को भारत के सर्वोच्च शांति काल वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।



मेजर संदीप उन्नीकृष्णन पर बनी फिल्म(Mejor Movies):



2020 में सोनी पिक्चर्स ने मेजर संदीप उन्नीकृष्णन पर बायोपिक तैयार की थी। जिसका नाम है ‘मेजर’।

इस फिल्म को बनाया है महेश बाबू ने और इसमें लीड रोल यानि मेजर का किरदार निभाया है अभिनेता आदिवासी शेष ने।

मेजर पर बनाई गई फिल्म पिछले कुछ साल पहले यानि 2 जुलाई 2021 को रिलीज होने वाली थी। लेकिन कोरोना के कारण इसकी डेट आगे बढ़ाकर 27 मई 2022 कर दी गई।



FAQ:-

Q. मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को बचपन से किस चीज का ज्यादा शौक था?

Ans: मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को शुरू से ही भारतीय सेना में शामिल होने का शौक था।


Q. मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की मृत्यृ कब हुई?

Ans: मुंबई 26/11 के हमले के दौरान हुई।


Q: मेजर संदीप उन्नीकृष्णन खाली टाइम में क्या किया करते थे?

Ans: मेजर संदीप उन्नीकृष्णन खाली टाइम में म्यूजिक ग्रुप के साथ तरह-तरह के गाने सिखा करते थे।


Q: मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को मरणोपरांत किस पुरस्कार से नवाजा गया?

Ans: भारत के सर्वोच्च शांति काल वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से नवाजा गया।


Q: किस तरह से लोग उन्हें आज भी याद करते हैं?

Ans: भारत का वीर सपूत के रूप में आज भी लोग उन्हें याद करते हैं।



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