Kajri Teej 2023 Date: कजरी तीज साल 2023 में कब और क्यों मनाया जाता हैं? |
कजरी तीज का व्रत उत्तर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में, विशेष रूप से वाराणसी और मिर्जापुर में महिलाएं तीज उत्साह के साथ मनाती हैं। कजरी तीज को कज्जली तीज भी कहा जाता है। इस साल यह 2 सितंबर को मनाई जाएगी। इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। तो आइए जानते हैं कि साल 2023 में कजरी तीज कब और क्यों मनाया जा रहा है।
कजरी तीज(kajari teej) 2023: जिसे कजली तीज (Kajri Teej) के नाम से भी जाना जाता है, पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है। इस साल यह तीज 2 सितंबर को मनाई जाएगी। तीज उत्तर भारतीय राज्यों, विशेषकर राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है। सावन और भाद्रपद के हिंदू महीनों के दौरान महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला यह त्योहार बहुत सांस्कृतिक महत्व रखता है। राजस्थान में तीन प्रकार की तीज होती हैं – हरियाली तीज, कजली तीज और हरतालिका तीज। यह हिंदू त्योहार भाद्रपद के चंद्र महीने में अंधेरे पखवाड़े (कृष्ण पक्ष) के तीसरे दिन मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, कजरी तीज (Kajri Teej) आमतौर पर अगस्त या सितम्बर में आती है। यह मूल रूप से मुख्य रूप से हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला अवकाश है। मुख्य क्षेत्र जहां यह त्योहार बहुत महत्व रखता है वे हैं राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश।
कब है कजरी तीज? (Kajri Teej 2023 Date):
हिंदू पंवचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि आज (1 सितंबर), 2023 की रात 11.50 बजे शुरू होगी और ये 2 सितंबर 2023 की रात 8.49 बजे पर समाप्त होगी। पूजा का सही समय सुबह 7.57 बजे से सुबह 9.31 बजे तक है, वहीं दूसरा समय रात 9.45 बजे से 11.12 बजे तक है। इस साल कजरी तीज 2 सितंबर को मनाई जाएगी और इस तीज को बड़ी तीज भी कहते हैं। कजरी तीज में महिलाएं शिव-शक्ति की पूजा कर नीमड़ी माता की आराधना होती है। उत्तर भारतीय राज्यों, विशेषकर मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखती हैं।
कजरी तीज क्यों मनाया जाता हैं, महत्व:
सबसे पहले किसने किया था कजरी तीज का व्रत:
कजरी तीज को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। वैसे तो यह पर्व उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में काफी ज्यादा प्रचलित है। अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते है कि पौराणिक कथा के मुताबिक कजरी तीज का सबसे पहला व्रत माता पार्वती ने ही किया था। माता पार्वती के व्रत और तप से प्रसन्न होकर भगवान भोले शंकर ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी देर का आयु के लिए कजरी तीज का व्रत करती हैं।
FAQ-
1. कजरी तीज क्यों मनाई जाती है?
Ans- ऐसी मान्यता है कि कजरी तीज वाले दिन ही मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या करने के बाद प्राप्त किया था। इस दिन पूजा करने और व्रत रखने से मनचाहा वर मिलता है।
2. कजरी तीज का पूजन कैसे किया जाता है?
Ans- कजरी तीज 2023 की पूजा विधि-
माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित करें. भगवान शिव को बेलपत्र, गाय का दूध, गंगा जल और धतूरा अर्पित करें. इसके बाद शिव-गौरी के विवाह की कथा सुनें. रात्रि में चंद्रोदय होने पर पूजा करें और हाथ में चांदी की अंगूठी और गेहूं के दाने लेकर चंद्रदेव को जल का अर्घ्य दें।
3. तीज की कहानी क्या है?
Ans- तीज भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है और यह दिव्य जोड़े को समर्पित है।
4. तीज की शुरुआत कैसे हुई?
Ans- एक लोकप्रिय पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था और 107 जन्म लिए थे। उनकी इस घोर तपस्या के बाद 108वें जन्म में भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
इसे भी पड़े-
हिंदी दिवस कब और क्यों मनाया जाता हैं? Jitendra ambedkar
Dr S. Somanath ISRO Chairman Biography:इसरो चीफ़ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय...
हिंदी दिवस पर निबंध, महत्व, कविता, भाषण, स्लोगन | Hindi Diwas Nibandh(Essay) in Hindi?
शिक्षक दिवस 2023( Happy Teachers Day): शिक्षक दिवस पर भाषण, शायरी और दोहा?
भगवान विश्वकर्मा की जयंती 2023 : जानें महत्व, पूजा मुर्हुत, पूजन विधि
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें