मंगलवार, 26 सितंबर 2023

चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय | Chandra Shekhar Azad ...



चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय हिन्दी में, अपना देश आजाद कब हुआ था, निबंध, परिवार, जन्म, मृत्यु, क्रांति का शुरुआत, काकोरी कांड और कमांडर इन चीफ (Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi, Essay, family, Birthday, Death, beginning of revolution, Kakori incident and Commander in Chief)।


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आजाद शब्द आते ही अपनी मूंछो को ताव देता हुआ वह नौजवान आखों के सामने आ जाता है, जिसे पूरी दुनिया चंद्रशेखर आजाद के नाम से जानती है। एक युवा क्रांतिकारी जिसने अपने देश के लिए हंसते-हंसते प्राण त्याग कर दिए। जो अपनी लड़ाई के आखिर तक आजाद ही रहा। दुनिया में जिस सरकार का सूर्य अस्त नहीं होता था, वह शक्तिशाली सरकार भी उसे कभी बेड़ियों में जकड़ ही नहीं पाई। चंद्रेशेखर आजाद हमेशा ही आजाद रहें, अपनी आखिरी सांस तक। 


चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय(Chandrashekhar Azad Biography in Hindi):


चंद्रशेखर आजाद (Chandrasekhar Azad) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे अपने युवावस्था में ही एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी बन गए थे और उन्होंने अपने नाम "आजाद" के रूप में जाने जाते थे, जिसका मतलब होता है "स्वतंत्र"।


चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के आलीराजपुर जिले के भाभरा गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम चंद्रशेखर तिवारी था, लेकिन वे बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए और अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपना नाम "आजाद" रख लिया।


आजाद ने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, और दिल्ली के क्रांतिकारियों के साथ मिलकर भागीरथ प्लेस पर दिल्ली में दिनांक 8 दिसंबर सन् 1928 को हुए सम्मेलन की मांग को लेकर हाथी के सवार होकर प्रदर्शन किया था, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ अपनी निष्ठा और साहस का प्रदर्शन किया।


चंद्रशेखर आजाद का सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनके दिल्ली में हुई ककोरी ट्रेन धमाकों में था, जो 1925 में हुआ था। उन्होंने इस हमले के बाद बचने के बाद अपने नाम को और अधिक मशहूर किया और उन्होंने अपने स्वतंत्रता संग्राम के कार्य में और भी प्रतिभा दिखायी।


चंद्रशेखर आजाद का जीवन संघर्षपूर्ण और उनके दृढ इरादों और स्वतंत्रता के प्रति पूरी आस्था का परिचय है। वे 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के आला चौराहे पर ब्रिटिश पुलिस के साथ मुठभेड़ में आत्महत्या कर गए, लेकिन उनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।


क्रांति का शुरुआत(beginning of revolution):


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का शुरूआत ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों के विभिन्न यात्री और विचारकों के प्रयासों से हुआ। इसका मूल आरंभ सन् 1857 की सिपाही मुटिनी (भारतीय म्यूटिनी) से हुआ, जिसे पहले की नामक ब्रिटिश सरकार ने "सिपाही विद्रोह" के रूप में जाना जाता हैं।


सन् 1857 की सिपाही मुटिनी ने भारतीयों की आक्रोश को प्रकट किया, जब सिपाहियों ने ब्रिटिश कंपनी के खिलाफ उठकर विद्रोह किया था। इस विद्रोह के दौरान कई क्षेत्रों में लोगों ने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ उठाव किया और स्वतंत्रता की ओर पहला कदम रखा। हालांकि यह विद्रोह नाकाम रहा और कई क्रांतिकारियों की बलिदान के साथ दबाव को दबा दिया गया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए मार्ग प्रशस्त किया।


इसके बाद, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जड़ें धीरे-धीरे मजबूत हुईं और विभिन्न स्वतंत्रता संगठनों के गठन हुए, जैसे कि इंकलाबी समिति, और उनके नेताओं ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया दिशा देने के लिए कई कदम उठाए। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाने के रूप में आगे बढ़ना शुरू किया, जो अंततः सन् 1947 में भारत की स्वतंत्रता के लिए सफलता प्राप्त करने में समर्थ रहा।


काकोरी कांड और कमांडर इन चीफ(Kakori incident and Commander in Chief) 


काकोरी कांड (Kakori Conspiracy) एक महत्वपूर्ण घटना थी जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संग्रामियों और भागीरथ मिश्र जैसे क्रांतिकारियों के द्वारा 9 अगस्त सन् 1925 को काकोरी रेलवे स्थानक पर आयोजित ट्रेन डकैती के रूप में किया गया था। इसमें क्रांतिकारी समिति के सदस्यों ने ब्रिटिश शासकों की खजाने की गाड़ी से 8 लाख रुपये चुराए और इस धन का उपयोग स्वतंत्रता संग्राम के लिए किया।


कमांडर इन चीफ (Commander-in-Chief) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी थे, और उनका असली नाम चन्द्रशेखर आजाद था। कमांडर इन चीफ के रूप में आजाद ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई महत्वपूर्ण कार्यों का संचालन किया और स्वतंत्रता सेनानियों को नेतृत्व दिया। वे बहुत ही उद्देश्यशील और संकल्पबद्ध थे और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना जीवन समर्पित किया।


कमांडर इन चीफ ने आजाद के नाम से अपने क्रांतिकारी कार्यों को संचालित किया और उन्होंने दिल्ली के आला चौराहे पर अपने आत्महत्या की वोलंटियरी कियी, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण प्रयास थी। उनकी आत्महत्या 27 फरवरी सन् 1931 को हुई और वे स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा में से एक हैं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना जीवन समर्पित किया।


चंद्रशेखर आजाद कैसे शहीद हुए(How was Chandrashekhar Azad martyred)? 


चंद्रशेखर आजाद का शहीद होना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण एवं दिलचस्प किस्से में से एक है। उनकी आत्महत्या का पीछा उनके स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय तरीके और संघर्ष की गहरी भावना से था।


चंद्रशेखर आजाद ने अपने जीवन में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपनी निष्ठा दिखायी। उन्होंने अपने संगठन को "हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन" के रूप में संचालित किया और स्वतंत्रता संग्राम के संगठनों के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ साजिशें की।


उनकी आत्महत्या 27 फरवरी सन् 1931 को दिल्ली के आला चौराहे पर हुई, जब वे ब्रिटिश पुलिस के प्रति नकरात्मक रूप से अपने दोस्तों के साथ मुठभेड़ कर रहे थे। उनका लक्ष्य था आत्महत्या से बचकर ब्रिटिश को जाकर लड़ना, लेकिन उनके साथी गिरफ्तार हो गए और वे अपने आत्महत्या का फैसला कर लिया।


चंद्रशेखर आजाद का शहीद होना उनके दृढ संकल्प और स्वतंत्रता के प्रति उनकी आदर्श भावना का परिणाम था, और उनका नाम आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा के रूप में याद किया जाता है।


FAQ-

Q: चंद्रशेखर आजाद कैसे मर गए?

Ans: वर्ष 1931 में इसी पार्क में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चन्द्र शेखर आज़ाद को अंग्रेज़ों द्वारा एक भयंकर गोलीबारी में वीरगति प्राप्त हुई। आज़ाद की मृत्यु 27 फ़रवरी 1931 में 24 साल की उम्र में हो गई।

Q: चंद्रशेखर आजाद की मौत कब और कहां हुई थी?

Ans: 27 फरवरी 1931 में प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में। 

Q: चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली क्यों मारी?

Ans: इलाहाबाद में ब्रिटिश पुलिस द्वारा घेर लिये जाने पर चन्द्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मार ली।

Q: चंद्रशेखर आजाद ने कौन कौन से नारे दिए थे?

Ans: चंद्रशेखर आजाद ने कौन कौन से नारे दिए थे?

चंद्रशेखर आजाद का नारा कौन सा था ...

“मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूंगा” यह नारा था भारत की आजादी के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले देश के महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का।

Q: चंद्रशेखर आजाद कैसे प्रसिद्ध हुए?

Ans: उन्होंने 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आसोसिएशन' की स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम में अपनी शौर्यगाथाओं से लोगों को प्रेरित किया। आजाद की शहादत ने स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती दी और उन्हें 'आजाद' के नाम से याद किया जाता है।



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