गुरुवार, 24 अगस्त 2023

मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय, हॉकी के जादूगर, आत्मकथा और परिवार | Major Dhyanchand Biography in Hindi

 मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय, हॉकी के जादूगर, आत्मकथा और परिवार | Major Dhyanchand Biography in Hindi



हॉकी के जादूगर” मेजर ध्यानचंद – मेजर ध्यानचन्द एक ऐसा नाम है जिसे दुनिया में भला कौन नहीं जानता | मेजर ध्यानचन्द एक ऐसे महान हॉकी जादूगर का नाम है जिस पर सारे दुनिया को गर्व है | हॉकी की दुनिया में इतिहास रचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी ध्यानचन्द लाखोँ – करोड़ों लोगो के दिलो में राज करते है | जिन्होंने अपने जीवन खेल में 1000 से अधिक गोल दागे। उन्हें साल 1956 में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।



मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय(Major Dhyanchand Biography in Hindi) 



एक महान खिलाडी बनने वाले ध्यानचंद की कहानी की शुरुआत 29 अगस्त 1905 को शुरू हुई जब इनका जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहबाद में हुआ था। वे राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते थे. जिसमे उनके पिता का नाम समेश्वर सिंह था, जो ब्रिटिश इंडियन आर्मी में एक सूबेदार के रूप कार्यरत थे, वही उनकी माँ का नाम शारदा सिंह था। इसके अलावा ध्यानचंद के परिवार में उनके दो भाई थे, जिनका नाम मूल सिंह और रूप सिंह था . रूप सिंह भी अपने भाई ध्यानचंद की तरह एक हॉकी खिलाडी थे।



ध्यानचंद्र हॉकी की शुरुवात (Dhyan Chand Hockey Career)



युवा अवस्था में ध्यानचंद जी को हॉकी से बिल्कुल लगाव नहीं था, उन्हें रेसलिंग बहुत पसंद था। उन्होंने हॉकी खेलना अपने आस-पास के दोस्तों के साथ खेलना शुरू किया था, जो पेड़ की डाली से हॉकि स्टिक बनाते थे, और पुराने कपड़ों से बॉल बनाया करते थे। 14 साल की उम्र में वे एक हॉकि मैच देखने अपने पिता के साथ गए, वहां एक टीम 2 गोल से हार रही थी। ध्यानचंद ने अपने पिता को कहाँ कि वो इस हारने वाली टीम के लिए खेलना चाहते थे। वो आर्मी वालों का मैच था, तो उनके पिता ने ध्यानचंद को खेलने की इजाज़त दे दी। ध्यानचंद ने उस मैच में 4 गोल किये। उनके इस रवैये और आत्मविश्वास को देख आर्मी ऑफिसर बहुत खुश हुए, और उन्हें आर्मी ज्वाइन करने को कहा। 


1922 में 16 साल की उम्र में ध्यानचंद पंजाब रेजिमेंट से एक सिपाही बन गए। आर्मी में आने के बाद ध्यानचंद ने होकी खेलना अच्छे से शुरू किया, और उन्हें ये पसंद आने लगा। सूबेदार मेजर भोले तिवारी जो ब्राह्मण रेजिमेंट से थे, वे आर्मी में ध्यानचंद के मेंटर बने, और उन्हें खेल के बारे में बेसिक ज्ञान दिया। पंकज गुप्ता ध्यानचंद के पहले कोच कहे जाते थे, उन्होंने ध्यानचंद के खेल को देखकर कह दिया था कि ये एक दिन पूरी दुनिया में चाँद की तरह चमकेगा। उन्ही ने ध्यानचंद को चन्द नाम दिया, जिसके बाद उनके करीबी उन्हें इसी नाम से पुकारने लगे। इसके बाद ध्यान सिंह, ध्यान चन्द बन गया। 





ध्यानचंद अन्तराष्ट्रीय खेल करियर(Dhyan Chand international sports career) 



1926 में न्यूजीलैंड में होने वाले एक टूर्नामेंट के लिए ध्यानचंद का चुनाव हुआ। यहाँ एक मैच के दौरान भारतीय टीम ने 20 गोल किये थे, जिसमें से 10 तो ध्यानचंद ने लिए थे। इस टूर्नामेंट में भारत ने 21 मैच खेले थे, जिसमें से 18 में भारत विजयी रहा, 1 हार गया था एवं 2 ड्रॉ हुआ था। भारतीय टीम ने पुरे टूर्नामेंट में 192 गोल किये थे, जिसमें से ध्यानचंद ने 100 गोल मारे थे। यहाँ से लौटने के बाद ध्यानचंद को आर्मी में लांस नायक बना दिया गया था। 1927 में लन्दन फोल्कस्टोन फेस्टिवल में भारत ने 10 मैचों में 72 गोल किये, जिसमें से ध्यानचंद ने 36 गोल किये थे। 



1932 में बर्लिन ओलिंपिक में लगातार तीन टीम हंगरी, अमेरिका और जापान को जीरो गोल से हराया था। इस इवेंट के सेमीफाइनल में भारत ने फ़्रांस को 10 गोल से हराया था, जिसके बाद फाइनल जर्मनी के साथ हुआ था। इस फाइनल मैच में इंटरवल तक भारत के खाते में सिर्फ 1 गोल आया था। इंटरवल में ध्यानचंद ने अपने जूते उतार दिए और नंगे पाँव गेम को आगे खेला था, जिसमें भारत को 8-1 से जीत हासिल हुई और स्वर्ण पदक मिला था। 


ध्यानचंद की प्रतिभा को देख, जर्मनी के महान हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन आर्मी में हाई पोस्ट में आने का ऑफर दिया था, लेकिन ध्यानचंद को भारत से बहुत प्यार था, और उन्होंने इस ऑफर को बड़ी शिष्टता से मना कर दिया। 


ध्यानचंद अन्तराष्ट्रीय होकी को 1948 तक खेलते रहे, इसके बाद 42 साल की उम्र में उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया। ध्यानचंद इसके बाद भी आर्मी में होने वाले हॉकि मैच को खेलते रहे। 1956 तक उन्होंने हॉकि स्टिक को अपने हाथों में थमा रखा था। 



मेजर ध्यानचंद्र शिक्षा (Education)



ध्यानचंद के पिता समेश्वर आर्मी में थे, जिस वजह से उनका तबादला आये दिन कही न कही होता रहता था. इस वजह से ध्यानचंद ने कक्षा छठवीं के बाद अपनी पढाई छोड़ दी. बाद में ध्यानचंद के पिता उत्तरप्रदेश के झाँसी में जा बसे थे। 



इसे भी पड़े- 

राष्ट्रीय खेल दिवस पर निबंध(National Sports Day In Hindi)

Nag Panchami 2023: आज है नाग पंचमी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और गलतियां

राजीव गाँधी की जीवनी, अवॉर्ड्स, Rajiv Gandhi biography in Hindi? 

सदभावना दिवस 2023: सद्भावना दिवस क्यों मनाया जाता है, समारोह और प्रतिज्ञा?

महिला समानता दिवस (Women's Equality Day 2023): कब और क्यों मनाते हैं महिला समानता दिवस? जानें इतिहास व महत्व...

World Coconut Day 2023: विश्व नारियल दिवस क्यों मनाया जाता है ...

National Nutrition Week 2023: राष्ट्रीय पोषण सप्ताह क्यों, जाने इस दिन का इतिहास



कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें