Chandrayaan-3 Landing: साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बनेगा भारत, जानें इस बार के मिशन के बड़े बदलाव |
Chandrayaan-3 Landing: भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के साउथ पोल पर लैंड करेगा। इसके बाद रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर आएगा। ESRO चैयरमेन एस सोमनाथ ने कहा कि अगर सब कुछ फेल हो जाता है कुछ भी काम नहीं करता है फिर भी यह लैंडिंग करेगा। उन्होंने कहा कि अगर इस बार 2 इंजन काम नहीं करेंगे तो भी यह लैंडिंग करेगा। लैंडिंग का लाइव इवेंट शाम 5 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा। पीएम मोदी साउथ अफ्रीका से इस कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़ेंगे। वहीं भारत मून मिशन की सफलता के लिए देशभर में हवन कराए जा रहे हैं।
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट लगेंगे। लैंडिंग से 2 घंटे पहले लैंडर वहां की स्थिति के आधार पर यह तय करेगा कि इसे सही समय उतारना उचित होगा या नहीं। अगर कुछ भी गड़बड़ी होती है तो फिर 27 अगस्त को लैंडिंग कराई जाएगी। रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर चंद्रयान का दूसरा और फाइनल डिबूस्टिंग आपरेशन किया गया। इसके बाद चंद्रमा की न्यूनतम दूरी 25 किमी. और अधिकतम दूरी 134 किमी. रह गई। डीबूस्टिंग वह प्रक्रिया जिसके तहत स्पेसक्राफ्ट की गति को धीमा किया जाता है।
चंद्रयान-3 को इन चुनौतियों से निपटना(Chandrayaan-3 will have to deal with these challenges)
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए सही समय और सही स्पीड जरूरी है। लैंडिंग के दौरान लैंडर के उतरने और कंपन की गति को नियंत्रण में रखना होगा। वहीं चंद्रमा की सतह पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण बल भी मून मिशन के लिए बड़ी चुनौती है। वहीं चांद की सतह पर मौजूद क्रेटर और रेजोलिया भी चंद्रयान के लिए परेशानी का कारण हो सकता है। वहीं वैज्ञानिकों की मानें तो अगर लैंडिंग के दौरान मिशन तक सिग्नल पहुंचने में देरी होती है तो लैंडिंग करना मुश्किल हो जाएगा।
एक नजर में साउथ पोल(South Pole at a glance)
अगर भारत का मून मिशन कामयाब रहता है तो भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। साउथ पोल पर उतरने के साथ ही भारत का चद्रयान वहां की दुर्लभ चीजों के बारे में खोज करेगा। ESRO के वैज्ञानिकों की मानें तो साउथ पोल की मिट्टी में जमे हुए बर्फ के अणुओं की पड़ताल से कई रहस्यों का पता चल सकता है। सौर परिवार का जन्म कैसे हुआ? पृथ्वी और चंद्रमा के जन्म का रहस्य क्या है इस बात का पता चल सकेगा। इसके साथ ही चंद्रमा के भूगोल और उसकी विशेषताओं का भी पता चल सकता है। चंद्रमा के भूमध्य रेखा के पास की मिट्टी के रहस्यों का भी पता लगाया जा सकेगा।
वहीं इस बार के चंद्रयान में सॉफ्टवेयर भी बदला गया है इसके साथ ही इसकी टाॅलरेंस लिमिट भी बढ़ाई गई है। लैंडिंग के दौरान सॉफ्टवेयर ही निर्णय लेगा। पिछले बार की तुलना में इस बार के मिशन में 5 की जगह 4 इंजन लगाए गए हैं। इसके साथ ही 200 किलो वजन बढ़ाया गया है इसलिए एक इंजन को हटा दिया गया है। इस बार बेहतर पावन जनरेशन के लिए एक्सटेंडेड सोलर पैनल लगाए गए हैं।
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