गुरुवार, 3 अगस्त 2023

विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाते हैं: विश्व आदिवासी दिवस शायरी?

विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाते हैं: विश्व आदिवासी दिवस शायरी? 






अगस्त को 'विश्व आदिवासी दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने आदिवासियों के भले के लिए एक कार्यदल गठित किया था जिसकी बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। उसी के बाद से (UNO) ने अपने सदस्य देशों को प्रतिवर्ष 9 अगस्त को 'विश्व आदिवासी दिवस' मनाने की घोषणा की थी। 

1. जब 21वीं सदी में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने महसूस किया कि आदिवासी समाज उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित है, तभी इस समस्याओं को सुलझाने, आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए इस कार्यदल का गठन किया गया था। (UNWGIP)

2. आदिवासी शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है।

3. भारत की जनसंख्या का 8.6% यानी कि लगभग (10 करोड़) जितना बड़ा एक हिस्सा आदिवासियों का है।

4. भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए 'अनुसूचित जनजाति' पद का इस्तेमाल किया गया है।

5. भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में जाट, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, भील, खासी, सहरिया, संथाल, मीणा, उरांव, परधान, बिरहोर, पारधी, आंध,टोकरे कोली, महादेव कोली,मल्हार कोली, टाकणकार आदि शामिल हैं।

5. आदिवासी समाज के लोग अपने धार्मिक स्‍थलों, खेतों, घरों आदि जगहों पर एक विशिष्‍ट प्रकार का झण्‍डा लगाते है, जो अन्‍य धमों के झण्‍डों से अलग होता है।

6. आदिवासी झण्‍डें में सूरज, चांद, तारे इत्‍यादी सभी प्रतीक विद्यमान होते हैं और ये झण्‍डे सभी रंग के हो सकते है। वो किसी रंग विशेष से बंधे हुये नहीं होते हैं।

7. आदिवासी प्रकृति पूजक होते है। वे प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, नाले, खेत इन सभी की पूजा करते है। और उनका मानना होता है कि प्रकृति की हर एक वस्‍तु में जीवन होता है। 


विश्व आदिवासी दिवस पर शायरी (Poetry on World Tribal Day) 



आपके लिए कुछ शायरी का संग्रह प्रस्तुत करता हूँ, जिन्हें आप अपने आदिवासी मित्रों, परिवारों और समुदायों के साथ साझा कर सकते हैं।

जल, जंगल, जमीन के संरक्षण में
सदैव तल्लीन प्रकृति के सच्चे सेवक
आदिवासी भाई-बहनों को
विश्व आदिवासी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

हुए विनाश उन सभ्यताओं के
नई-नवीन आभा-प्रभाओं के
जो चल पड़े थे विपरीत दिशा
प्रकृति की सीमा को लांघकर
कभी सुनामी-कभी त्रासदी ने
उनको है सबक सिखाया
मिटी नवीन सभ्यताएं पर
जो ना मिटा, अविनाशी है

विश्व आदिवासी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

जब तक जुल्मी जुल्म करेगा
सत्ता के गलियारों से
चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा
जय जोहार के नारों से 


सुना है चड्डी गैंग वाले
आदिवासी (जयस) की बराबरी करने की बात कर रहे हैं
सुधर जाओ भड़वों
टापरे बिक जायेंगे पर
बराबरी नहीं कर पाओगे
जय जोहार, जय आदिवासी 



•जिनके दिल में समाज का दर्द है ,
वे हमारे साथ रहे बाकि फर्जियो की कोई जरूरत नही है।
हम अकेले भी ठीक है।
जय जोहार


•बेशक मेरी उम्र कम है और ना ही मेरी कोई पहचान है.

लेकिन मैं अपनी उम्र से नहीं बल्की बिरसा के विचारों से जाना जाता हूं

जय जोहार



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