मंगलवार, 29 अगस्त 2023

भगवान विश्‍वकर्मा की जयंती 2023 : जानें महत्व, पूजा मुर्हुत, पूजन विधि

भगवान विश्‍वकर्मा की जयंती 2023 : जानें महत्व, पूजा मुर्हुत, पूजन विधि



विश्वकर्मा भगवान ने पूरी श्रृष्टि का निर्माण किया इन्हें सृष्टि का निर्माण कर्ता कहा जाता हैं। इन्हें आज के समय के अनुसार सृष्टि का इंजिनियर, आर्किटेक्ट कहा जाता हैं इनकी पूजा भी इंजिनियर और वर्कर करते हैं। इस दिन सभी निर्माण के कार्य में उपयोग होने वाले हथियारों एवम औजारों की पूजा की जाती हैं। 



Vishwakarma Jayanti 2023 Date: हर साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर को भगवान विश्कर्मा की जयंती मनाई जाती है। दक्षिण भारत में ये पर्व सितंबर तो वहीं उत्तर भारत में इसे फरवरी के महीन में मनाई जाती है। इस दिन देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्कर्मा की पूजा का विधान है। 


शिव का त्रिशूल, लंका महल, द्वारका आदि देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और भवन का निर्माण भगवान विश्कर्मा की ही देन है. कारीगर, फर्नीचर बनाने वाले, मशीनरी और कारखानों से जुड़े लोग भगवान विश्कर्मा की जयंती धूमधाम से मनाते हैं. आइए जानते हैं इस साल विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुर्हुत, पूजन विधि एवं मंत्र



विश्वकर्मा भगवान् का शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि 2023(Auspicious time and method of worship of Lord Vishwakarma 2023) :



शुभ मुहूर्त(auspicious time):


विश्वकर्मा पूजा के दिन 17 सितंबर 2023 को सुबह 07.50 मिनट से लेकर दोपहर 12.26 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. वहीं दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक भी विश्कर्मा पूजा की जा सकती है। 


पूजन विधि(Vishwakarma puja):


विश्वकर्मा जयंत्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें और गंगा जल छिड़क कर पवित्र कर लें। एक पीला कपड़ा लें और उस पर लाल कुमकुम से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। स्वस्तिक चिह्न पर चावल और फूल चढ़ाएं और उस पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा, फोटो या प्रतिमा स्थापित करें। भगवान गणेश की पूजा करके प्रार्थना शुरू करें, उसके बाद भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें। (गणेश की पूजा हमेशा किसी भी अन्य हिंदू देवता से पहले की जाती है।) एक दीपक जलाएं और भगवान विश्वकर्मा के माथे पर तिलक लगाएं।


उन्हें प्रार्थना, फल, मिठाई, फूल और बहुत कुछ अर्पित करें। अपनी मशीनों की लंबी आयु और व्यवसाय में सफलता के लिए मंत्रों का जाप करें। एक बार प्रार्थना पूरी हो जाने पर, भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद लें और श्रमिकों, कर्मचारियों और परिवार के सदस्यों के बीच फल और मिठाइयाँ वितरित करें।



 महत्व(Inportance):



विश्वकर्मा को दुनिया को सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इसलिए इस दिन उद्योगों, फेक्ट्र‍ियों और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है। 



यह पूजा सभी कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक घरानों द्वारा की जाती है. लेकिन देश के कुछ भागों में इसे दीपावली के दूसरे दिन भी मनाया जाता है। इस दिन ज्यादातर कल-कारखाने बंद रहते हैं और लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, दिल्ली आदि राज्यों में भगवान विश्वकर्मा की भव्य मूर्ति स्थापित की जाती है और उनकी आराधना की जाती है। 



भगवान् विश्वकर्मा की पूजा करने से लाभ(benefits of worship) 



भगवान विश्वकर्मा को दिव्य शिल्पकला और विज्ञान का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा करने से आपको निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं


 विश्वकर्मा देवता की पूजा से शिल्प और कला क्षेत्र में कौशल और नौकरियों में वृद्धि हो सकती है।

उनकी पूजा से आपका आध्यात्मिक विकास हो सकता है और आपकी आत्मा को शांति मिल सकती है।

विश्वकर्मा देवता की कृपा से आपके व्यवसाय में वृद्धि और सफलता हो सकती है।

 उनकी पूजा से आपकी कार्यों में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है और आपकी कार्यों की सामर्थ्य में वृद्धि हो सकती है।

यदि आप विश्वकर्मा देवता की पूजा करना चाहते हैं, तो आपको आवश्यकतानुसार उनकी पूजा और अर्चना करनी चाहिए, और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए श्रद्धा और भक्ति से काम करना चाहिए।



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