2023 इंजीनियर्स डे (अभियंता दिवस) क्यों मनाया जाता है, इतिहास, महत्व (Engineer’s Day Date), मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जीवन परिचय |
आज के वक्त में दुनियाँ भर के हर क्षेत्र में इंजिनियर का हाथ हैं। दुनियाँ की प्रगति में इंजिनियर का हाथ हैं फिर चाहे वो कोई भी फील्ड हो, तकनिकी ज्ञान के बढ़ने के साथ ही किसी भी देश का विकास होता हैं। इससे समाज के दृष्टिकोण में भी बदलाव आता हैं। इस तरह पिछले दशक की तुलना में इस दशक में दुनियाँ का विकास बहुत तेजी से हुआ इसका श्रेय दुनियाँ के इंजिनियर को जाता हैं। उन्हें ही सम्मान देने के उद्देश्य के साथ इंजीनियर्स डे मनाया जाता है।
अभियंता दिवस (इंजीनियर डे) 2023: Engineers Day
दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को अभियंता दिवस यानि इंजीनियर डे मनाया जाता है। सबसे उत्कृष्ट अभियंता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की याद में हर साल 15 सितंबर को "अभियंता दिवस" का आयोजन किया जाता है। 149 साल पहले इसी दिन विकास और इंजीनियरिंग के लिए इस महान योगदानकर्ता का जन्म हुआ था। भारत सरकार द्वारा 1968 ई. में डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जन्म तिथि को ‘अभियंता दिवस’ घोषित किया गया था। अभियंता (इंजीनियर) वह व्यक्ति है जिसे अभियाँत्रिकी की एक या एक से अधिक शाखाओं में प्रशिक्षण प्राप्त हो अथवा जो कि व्यावसायिक रूप से अभियाँत्रिकी सम्बन्धित कार्य कर रहा हो। कभी कभी इन्हे यंत्रवेत्ता भी कहा जाता है। हर साल अभियंता दिवस का उत्सव एक केंद्रीय विषय के चारों ओर घूमता है जो सभी राज्यों और स्थानीय केंद्रों को सूचित किया जाता है। आज भी मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत के विश्वकर्मा के रूप में बड़े सम्मान के साथ स्मरण(ध्यान) किया जाता है।
इंजीनियर दिवस क्यों मनाया जाता है (Why We Celebrate Engineer’s Day)
इंजीनियर दिवस दुनिया के प्रसिद्ध इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के याद में मनाया जाता है और ये दिन मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के बर्थड़े के दिन आता है।
इन दिन को मनाने का लक्ष्य हमारे देश के युवाओं को इंजीनियरिंग के करियर के प्रति प्रेरित करना है और जिन इंजीनियरों ने हमारे देश के उत्थान में अपना योगदान दिया गया है उनकी सराहना करना है।
साल 2023 का इंजीनियर दिवस (Engineer’s Day 2023 Date)
इंजीनियर दिवस पर हम मोक्षगुंडम विश्वेश्या का 161 वा जन्म दिवस समारोह मनाया जाना है, और इस दिन को लेकर कई इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं। हालांकि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते स्कूल एवं कॉलेज बंद होने के कारण इस दिन का सेलिब्रेशन नहीं हो पाया है। किन्तु इस साल उम्मीद की जा रही है। कि इस साल 161 वां जन्म दिवस समारोह अवश्य मनाया जायेगा।
मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जीवन परिचय (Mokshagundam Visvesvaraya Biography)
विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है। इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी। जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। चिकबल्लापुर से इन्होंने प्रायमरी स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंग्लोर चले गए। 1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा पास की. इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया। 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया।
एम. विश्वेश्वरैया जी अवार्ड (Mokshagundam Visvesvaraya Awards):
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारत के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
लन्दन इंस्टीट्यूशन सिविल इंजीनियर्स की तरफ से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मान दिया गया था।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की तरह से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मानित किया गया।
विश्वेश्वरैया जी कर्नाटका के सबसे प्रसिद्ध लोगों में से एक है।
इसके अलावा देश के आठ अलग अलग इंस्टिट्यूट के द्वारा उन्हें डोक्टरेट की उपाधि दी गई।
विश्वेश्वरैया जी के 100 साल के होने पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में स्टाम्प निकाला।
इनके जन्म दिवस पर समस्त भारत में इंजिनियर डे मनाया जाता है।
अभियन्ता दिवस का इतिहास(History of Engineer's Day) :
भारतरत्न सर डॉ। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस को अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ। विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर में 15 सितम्बर 1861 को हुआ था। गरीब परिवार में जन्मे विश्वेश्वरैया ने देश ही नहीं, दुनियाभर में अपनी प्रतिभा का लोहा लहराया। 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारतरत्न से सम्मानित किया गया। उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी हुआ। विश्वेश्वरैया का बिहार से गहरा नाता है। राजधानी में उनके नाम से विश्वेश्वरैया भवन भी है। पटना जिले के हाथीदा के पास बना राजेंद्र सेतु इसी कर्मयोगी की जीवटता की मिसाल है। वे 92 साल की उम्र में भी साइकल से पुल निर्माण के काम के लिए जाया करते थे। संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने लगभग दो किलोमीटर लंबे इस पुल के सपने को साकार कर दिखाया। यह दोमंजिला पुल गंगा नदी पर बना बिहार का रेल सह सड़क पुल है, जो उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ता है। डॉ विश्वेश्वरैया ने जल वितरण, सड़कों, संचार व सिंचाई के लिए सैकड़ों परियोजनाएं बनाईं। जिंदगी में हर कदम पर उन्होंने समय की पाबन्दी पर पूरा ध्यान रखा। उन्हें हर समय के सबसे महान इंजीनियर के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने दृष्टिकोण और समर्पण के साथ भारत में कुछ असाधारण योगदान दिया। उनके योगदान के कारण उन्हें वर्ष 1955 में भारत के सर्वोच्च राज्य पुरस्कार, "द भारत रत्न" से सम्मानित किया गया।
Engineer’s Day Shayari (इंजीनियर्स डे शायरी)
जो खिलोने के टूटने से रोता नहीं
जो फ़ैल होने से डरता नही
कोड कितना ही फट जाये
पर वो किये बिना मानता नही
कोई पागल कहे या आवारा
यही होता हैं इंजिनियर बैचारा
जो फ़ैल होने पर हँसता हैं
जो रात में जागता दिन में सोता हैं
उल्लू नही हैं यारो
आज के टाइम में इंजिनियर कहलाता हैं
पुरे चार साल जो जानवर सा जीता हैं
जो सेशनल के पीछे कॉलेज को जाता हैं
जो 33 नंबर के लिए पूरी एक रात जागता हैं
कुछ आये ना आये एग्जामिनर के लिए जो लिखकर आता हैं
अरे भाईयों वही तो एक दिन इंजिनियर बन पाता हैं
FAQ
Q : इंजिनियर्स डे कब मनाया जाता है ?
Ans : 15 सितंबर के दिन।
Q : इंजिनियर्स डे किसकी याद में मनाया जाता है ?
Ans : मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया।
Q : इंजिनियर्स डे क्यों मनाया जाता है ?
Ans : हमारे देश के इंजिनियर्स को सम्मान देने के लिए, एवं उनके कार्यों की सराहना करने के लिए।
Q : दुनिया का सबसे बेस्ट इंजीनियर कौन है?
Ans: मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया।
Q : इंजिनियर्स डे विश्व में कब मनाया जाता है ?
Ans : अलग अलग जगह पर अलग अलग दिन मनाया जाता है।
Q : इंजिनियर्स डे कैसे मनाते हैं ?
Ans : इस दिन इंजीनियरिंग कॉलेजों में कार्यक्रमों का योजना किया जाता है, और साथ ही इंजिनियर्स को सम्मान भी दिया जाता है।
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