गुरुवार, 27 जुलाई 2023

Jama Masjid Delhi History In Hindi | जामा मस्जिद का इतिहास और जानकारी

Jama Masjid Delhi History In Hindi | जामा मस्जिद का इतिहास और जानकारी




करीब 12 वर्षों की कड़ी मेहनत से जब दिल्ली की जामा मस्जिद 1656 ई में तैयार हुई तो इसका उद्घाटन उज्बेकिस्तान के इमाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी ने किया.



Jama Masjid History : जामा मस्जिद में अकेली लड़की की एंट्री पर बैन के फैसले के बाद एक बार फिर से दिल्ली का ऐतिहासिक जामा मस्जिद सुर्खियों में आ गया है. पुरानी दिल्ली में मौजूद भव्य जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है. इसकी भव्यता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जामा मस्जिद के प्रांगण में एक साथ 25,000 लोग बैठ सकते हैं. 


दिल्ली की जामा मस्जिद मुगल स्थापना का बेहतरीन उदाहरण है। लाल किले से 500 मीटर की दूरी पर मौजूद ये मस्जिद अपनी भव्यता और खूबसूरती के लिए दुनियाभर में मशहूर है। इस मस्जिद को मुगल सम्राट शाहजहां ने बनवाया था। दिल्ली की जामा मस्जिद को बनाने में 12 साल लग गए थे। इसका निर्माण 1644 ई में शुरू हुआ था और यह 1656 ई में बनकर तैयार हुआ।



दुनिया के मुसलमानों के लिए बेहद ख़ास है दिल्ली का जामा मस्जिद  


इबादत के नजरिए से दिल्ली की जामा मस्जिद दुनियाभर के मुसलमानों के लिए ख़ास महत्व रखती है। पर्यटन के नजरिए से भी जामा मस्जिद दुनियाभर को बेहद पसंद है। भारत आने वाले विदेशी सैलानी खासकर मुसलमानों की लिस्ट में दिल्ली का जामा मस्जिद जरूर होती है। भारत के भी अलग-अलग इलाकों से आने वाले लोग इसकी भव्यता और खूबसूरती देखकर दंग रह जाते हैं। मुगल सम्राट शाहजहां की ये आखिरी खर्चीली वास्तुकला की बनाई गई थी। इससे पहले शाहजहां ताजमहल और दिल्ली का लालकिला बना चुके थे। यह मस्जिद देश के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में भी शामिल है। यह कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी भी रही है।


जामा मस्जिद के नाम का क्या है मतलब?


जामा मस्जिद का नाम अरबी भाषा के शब्द से रखा गया है। अरबी में जामा मस्जिद का मतलब Friday Mosque होता है। हम सब जानते हैं कि शुक्रवार या जुमे की नमाज का इस्लाम में बेहद ख़ास महत्व है। ऐसे इस मस्जिद का वास्तविक नाम मस्जिद-ए-जहां नुमा (Masjid e Jahan Numa) है। इसका अर्थ है मस्जिद जो पूरी दुनिया का नजरिया, लेकिन इसका वास्तविक नाम है  मस्जिद-ए-जहां नुमा (Masjid e Jahan Numa), इसका अर्थ होता है  मस्जिद जो पूरी दुनिया का नजरिया।



एक नजर डालते हैं इसकी विशेषता पर



1 जामा मस्जिद 65 मीटर लंबी और 35 मीटर चौड़ी है।

2 इसके आंगन में 100 वर्गमीटर का स्थान है।

3 मस्जिद में विशालकाय दो मीनारें हैं, जिनकी ऊंचाई 40 मीटर है।

4. जामा मस्जिद में चार छोटी मीनारें भी हैं।

4 जामा मस्जिद में दक्षिण, पूर्व और उत्तर मिलाकर कुल 3 दरवाजे हैं।

5 इस मस्जिद को बलुआ पत्थक औक सफेद संगमरमर से बनाया गया है 

6 मस्जिद में नक्काशीदार 260 खंभे लगे हुए हैं।

7 जामा मस्जिद को 5 हजार से ज्यादा मजदूरों ने मिलकर बनाया था।

8 इस मस्जिद को बनाने में करीब 10 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।




इमाम सैयद बुखारी के पिता का भी रहा है सियासी दखल


सैयद अहमद बुखारी के पिता अब्दुल्ला बुखारी भी अलग-अलग दलों के लिए मुसलमानों का समर्थन देने का ऐलान करते रहे हैं। सैयद अहमद बुखारी को अपने पिता से ही सियासी दखल की विरासत मिली थी। अब्दुल्ला बुखारी ने 1977 में जनता पार्टी और 1980 में कांग्रेस को समर्थन का ऐलान कर राजनीति में पैठ बनाने की कोशिश की थी। उसके बाद से चुनाव दर चुनाव मुस्लिम वोट को अपनी तरफ करने के लिए पार्टियों के अलग-अलग नेता शाही इमाम से मिलने के लिए दिल्ली के जामा मस्जिद आने लगे। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ ही सोनिया गांधी भी शामिल हैं। 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर बुखारी ने  मुसलमानों से भाजपा को समर्थन देने की अपील की थी।



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